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लखनऊ

सीएम साहब… लखनऊ में  11 हज़ार बच्चे सड़क पर! कौन लेगा इन बच्चों की ज़िम्मेदारी? 

सर्व शिक्षा अभियान, बेटी बचाओ जैसी बातें अखिलेश राज्य में बेमानी सी लगने लगती है जब उनके शहर लखनऊ में 11 हज़ार बच्चे सड़क पर रहने को मजबूर हों

लखनऊApr 28, 2016 / 08:29 pm

Santoshi Das

save the children

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लखनऊ.सर्व शिक्षा अभियान, बेटी बचाओ जैसी बातें अखिलेश राज्य में बेमानी सी लगने लगती है जब उनके शहर लखनऊ में 11 हज़ार बच्चे सड़क पर रहने को मजबूर हों। उन बच्चों को सोने के लिए सड़क का फुटपाथ नसीब हो रहा हो। ऐसी स्थिति में सड़क पर दिन और रात गुजारने वाले बच्चों की सुरक्षा किनके हाथों में है?


भारत में बच्चों के लिए काम कर रही संस्था सेव द चिल्ड्रेन ने हाल ही में डीएफआईडी की रिपोर्ट जारी की जिसमें बताया गया है की मुख्य्मंत्री के अपने शहर में लगभग 10,771 बच्चे सड़क पर हैं। लखनऊ की सडकों पर कितने बच्चे हैं इसके लिए शहर के 11 इलाकों में सर्वे किया गया।

सेव द चिल्ड्रेन की अंजलि सिंह ने बताया की रिपोर्ट के अनुसार लखनऊ की सड़क पर लगभग 11 हज़ार बच्चों में से 7659 लडके हैं और 3111 लड़कियां। इन बच्चों में 24 प्रतिशत बच्चे युवा हैं, 33 प्रतिशत बच्चे 13-15 वर्ष के और 18 प्रतिशत बच्चे 16 से 18 के उम्र के हैं।


लखनऊ के इन सडकों पर सोने वाले बच्चों की रिपोर्ट

सड़क पर 3111 लड़कियां सुरक्षित नहीं
अंजलि ने बताया की रिपोर्ट के मुताबिक 3111 लड़कियां सड़क पर हैं। ऐसे में यह बच्चियां चाइल्ड ट्रैफिकिंग का शिकार हो सकती हैं या फिर हो चुकी हैं। उत्तर प्रदेश चाइल्ड ट्रैफिकिंग के लिए मुफीद बन रहा है यह इस बात से स्पष्ट होता है की आखिर इतनी बड़ी संख्या में बच्चे कहां से लखनऊ में आ गए। सड़क में रहने के कारण यह सुरक्षित नहीं है। इनके साथ शारीरिक और मानसिक शोषण हो सकता है। सरकार की तरफ से इनकी मदद के लिए कुछ नहीं किया जा रहा। ऐसे में लावारिस रहने वाले बच्चों के लिए सेव द चिल्ड्रेन एव्री लास्ट अभियान लेकर आई है। इसके तहत उनकी मदद की जाएगी।
every last child

उत्तर प्रदेश का मुग़ल सराय बन गया चाइल्ड ट्रैफिकिंग का गढ़
डीएफआईडी की रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश के मुगलसराय भारत का सबसे बड़ा प्लेटफार्म है जिसकी वजह से यहां विभिन्न राज्यों से ट्रेन आती हैं जिनका रुट डाइवर्ट होता है। इस स्टेशन पर रोजाना कई बच्चे लावारिस मिलते हैं। रिपोर्ट बताती है की यहां 1399 बच्चे लावारिस सडकों पर घूम रहे हैं।

सरकार की मदद की जरुरत
अंजलि सिंह ने बताया की सड़क पर रहने वाले बच्चों के लिए सरकार की मदद की जरुरत है। इन बच्चों को भी सामान्य बच्चों की तरह शिक्षा, भोजन और सिर छुपाने के लिए घर की जरुरत है। उनकी यह जरुरत पूरी की जाए जिससे यह बच्चे भी सामान्य और सुरक्षित जीवन जी सकें।

सड़क पर रहने वाले बच्चों पर यह है खतरा


– बाल मजदूरी

-नशाखोरी

-लड़कियों के लिए सेक्स रैकेट में शामिल होने का संकट

-शारीरिक शोषण

-कुपोषण

-अशिक्षा

-अल्प आयु

-क्राइम की तरफ कदम बढ़ना
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