-बिजली उत्पादन से जुड़ी ख़ास बातें 3 वर्ष देरी से शुरू हुई इकाई
6 वर्ष पहले किया शिलान्यास
7 हजार 920 करोड़ की अनुमानित लागत
2016 में 7वीं इकाई से विद्युत उत्पादन का था लक्ष्य
3 माह बाद आठवीं इकाई से विद्युत उत्पादन का था लक्ष्य
निर्माण कार्यों की धीमी रफ्तार के कारण देरी से उत्पादन शुरू
अब लागत बढ़कर 9 हजार 161 करोड़ 35 लाख रुपए
बतादें कि विद्युत उत्पादन में हुई देरी के कारण पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन और रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉरपोरेशन को प्रतिमाह 100 करोड़ रुपए निर्माण अवधि ब्याज के रूप में चुकाने पड़ रहे हैं। इस लिहाज से अब तक करीब 3600 करोड़ रुपए की ब्याज राशि इकाइयों की लागत में और जुड़ चुकी है। निर्माण कार्यों में देरी के कारण 660-660 मेगावाट की सातवीं-आठवीं सुपर क्रिटीकल इकाईयों की लागत बढ़ने से राज्य सरकार ने जुलाई माह में दोनों इकाईयों के लिए 1241 करोड़ 35 लाख रुपए के प्रस्ताव की स्वीकृति प्रदान की थी। वहीं बढ़ी हुई लागत में राज्य सरकार की हिस्सेदारी के 20 फीसदी राशि 248 करोड़ 27 लाख रुपए देने की स्वीकृति भी प्रदान की गई थी। बहरहाल, अब परीक्षण के बाद ये साफ होगा कि इकाई से व्यवसायिक उत्पादन कब शुरू होगा।