टीम ने रामगढ़ बांध को भरने वाली मुख्य बाण गंगा नदी की सहायक अचरोल नदी व घुघलिया नदी के बहाव क्षेत्र का जायजा लिया। इस दौरान बहाव क्षेत्र में अब भी फसलें लहलहाती मिली। साथ ही कच्चे-पक्के मकान बने हैं। टीम शुरू में अचरोल नदी के मुख्य बहाव क्षेत्र जैतपुर खिंची पहुंची।
यहां देखा की नदी के मुख्य बहाव क्षेत्र में लोगों ने मेडबंदी कर कच्चा निर्माण कर रखा है। इसके आगे रिसोर्ट बना हुआ है। टीम सदस्य नदी बहाव क्षेत्र का जायजा लेते हुए स्यारी, बोल्यावाला व राजपुर होते हुए राजपुरवास ताला के पास बाण गंगा नदी के बहाव क्षेत्र में पहुंचे। इस दौरान बहाव क्षेत्र के बीच तारबंदी व अन्य अतिक्रमण मिले।
यहां भी हाल कुछ ऐसा ही-
इसके बाद पत्रिका टीम घुघलिया नदी के बीच पहुंची। यहां नाले पर भी अतिक्रमण मिला। इस नदी में चक चारणवास गांव के पास बहाव क्षेत्र में रिसोर्ट बना हुआ मिला। इससे आगे बहाव क्षेत्र में मुर्गी फार्म बना हुआ है। वहीं आगे भी अधिकांश लोगों ने बहाव क्षेत्र के बीच तार फेसिंग कर व मिट्टी की मेडबंदी कर अतिक्रमण कर रखा है। अचरोल नदी की कुल लम्बाई करीब 12 किमी है। वहीं घुघलिया नदी की लम्बाई बाण गंगा नदी तक करीब 6 किमी है।
इन गांवों से आता है पानी-
बाण गंगा की सहायक अचरोल नदी में बिलोंची, किरतपुरा, छापराड़ी, जैचपुरखिंची, अचरोल, स्यारी, बोल्यावाला सहित गांवों का पानी आता है, लेकिन इस बार तेज बारिश होने के बाद भी नदी सूखी रही। वहीं घुघलिया नदी में जुगलपुरा, चिताणु, कुशलपुरा, चक चारणवास, बाण्यावाला, कालीपहाडी चारणवास सहित गांवों का पानी आता है।
फिर जमे अतिक्रमी-
हर साल बारिश से पहले बांध के कैचमेंट एरिया की देखरेख के लिए बनाई गई हाईकोर्ट की मॉनीटरिंग कमेटी विभागीय अधिकारियों के साथ दौरा कर अतिक्रमण चिन्हित करती है, लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों की देखरेख के अभाव में वापस अतिक्रमी बहाव क्षेत्र में काबिज हो जाते हैं।