विभाग की मानें तो स्थानीय महिला जो कि क्षेत्र से पूरी तरह से वाकिफ है। जिसे हर घर की जानकारी है। ऐसे में यदि वो साथिन के पद पर नियुक्त होती है तो सरकार की विभिन्न योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन हो सकता है। राज्य सरकार की ओर से वर्तमान में बेटी बचाओ—बेटी पढ़ाओं, पोषाहार वितरण, खिलौना बैंक, टीकाकरण, गर्भवती महिलाओं को संतुलित आहार की जानकारी, समय पर टीका लगवाने, प्रसव पूर्व व प्रसव पश्चात बच्चे व खुद का ध्यान रखने आदि के बारे में जागरुकता कार्यक्रम चलाया जा रहा है। लेकिन इन योजनाओं का प्रचार करने वाली साथिनें ही सरकार के पास नहीं है। ऐसे में सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन भी ठप्प हो रहा है। जिलों में लगातार शिकायत मिलने के बाद अब विभाग ने इस पर चिंता जताई है और कुछ पंचायत समितियों में साथिनों के पद भरने का फैसला किया है। अब संबंधित जिलाधिकारी द्वारा रिक्त पदों की जानकारी के बाद ही ये पद भरे जाएंगे।
ये हैं ग्राम साथिन—
प्रत्येक ग्राम पंचायत पर एक साथिन होती है जिसका चुनाव उस पंचायत क्षेत्र की महिला ग्राम सभा द्वारा किया जाता है। गांव की महिलाओं की समस्याओं को दूर करने में एक दोस्त, परामर्शदात्री और पथ–प्रदर्शक के रूप में सम्बल देना इसका काम है। इसके अलावा गांव की महिलाओं से चर्चा करवाना, महिलाओं में विकास योजनाओं का लाभ उठाने की ललक और मांग पैदा करना, बालिका की स्थिति गांवों में सुधरे, उसे भी पूरा प्यार, अधिकार और सम्मान मिले, ऐसा माहौल समाज में तैयार करने का प्रयास करना, नवयुवतियों व किशोरी बालिकाओं को माहवारी संबंधी समस्याओं से उबारने के लिए पूरी सही जानकारी देना।