फेसबुक पर विक्रम चौधरी फन मिक्स स्माइल नाम के यूजर ने इस वीडियो को शेयर किया है। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में शामिल एक पुलिसकर्मी को खांसते और जमीन पर गिरते देखा जा सकता है, उसे सांस नहीं आ रही। इसके बाद पुलिसकर्मी डॉक्टरों को आवाज लगाते हैं। पुलिसकर्मी उसे बीमार पुलिसकर्मी को मास्क पहनाते हैं। वहीं तुरंत बाद चिकित्सकों की एक टीम पुलिसकर्मी को स्ट्रेचर पर सुलाती हुई नजर आती है। यह वीडियो को इस कैप्शन के साथ शेयर किया जा रहा है कि “बिहार हाजीपुर जेल में सिपाही को कोरोना वायरस”। इस वायरल वीडियो को अब तक 12 हजार से अधिक लोगों ने देख लिया है। वहीं करीब 120 से अधिक लोगों ने शेयर किया है। ऐसे ही दावे के साथ ट्विटर और व्हाट्सएप पर भी यह वीडियो वायरल हो रहा है। वहीं एक यूजर वकार अहमद बाराबंकी ने भी इस वीडियो को पोस्ट किया है। उनके इस वीडियो को 2800 से ज्यादा बार शेयर किया गया। साथ ही इस वीडियो को 44 हजार से ज्यादा बार देखा गया है।
राजस्थान पत्रिका की फैक्ट चैक टीम ने इस दावे की जांच शुरू की। हमने “बिहार हाजीपुर जेल में सिपाही को कोरोना वायरस” कैप्शन को इंटरनेट पर सर्च किया तो पता लगा कि यह वीडियो कई गलत दावों के साथ फैलाया जा रहा है। इस तरह के कई वीडियो जो पुलिस की मॉक ड्रिल के होते हैं, फर्जी दावों के साथ पहले भी वायरल कर चुके हैं। यह वायरल वीडियो देखने से ही नाटकीय और पूर्व-निर्देशित मालूम होता है। इसमें वीडियो बनाती एक महिला की आवाज भी आती है, जिससे साफ पता चलता है कि उन्हें पहले से पता था कि गेट से एक पुलिसकर्मी आएगा और यह वीडियो बनाया जा रहा है। हमने ‘हाजीपुर’ , ‘जेल’ , ‘कोरोना वायरस’ जैसे शब्दों के की-वर्ड सर्च से पाया कि ऐसे कई वीडियो हिंदी यूट्यूब चैनलों के जरिए अपलोड किए गए हैं, जिनमें यह बताया गया कि वायरल वीडियो हाजीपुर जेल में हुए मॉक ड्रिल का है। यह पुलिसकर्मियों को जेल में संदिग्ध कोविड-19 पेशेंट से निपटने की ट्रेनिंग के रूप में कराई गई ड्रिल है।
राजस्थान पत्रिका की फैक्ट चैक टीम ने इससे पहले पंजाब पुलिस की ओर से कोरोना वायरस के एक मरीज को जबरदस्ती ले जाने के सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो की भी जांच की। इसमें पता चला था कि वीडियो दरअसल मानसा (पंजाब) में हुई एक मॉक ड्रिल के दौरान फिल्माया गया था। यह मॉक ड्रिल जिला प्रशासन, डॉक्टरों और पुलिस के समूह की ओर से आयोजित की गई थी, ताकि जिले में महामारी से लडऩे की तैयारी जांची जा सके।
राजस्थान पत्रिका की फैक्ट चैक टीम ने इस दावे की जांच की तो पता चला कि एक पुलिसकर्मी को बिहार के हाजीपुर जेल में कोरोना वायरस का पॉजिटिव होने के बाद वायरल वीडियो गलत है। यह पोस्ट फर्जी है। यह वीडियो हाजीपुर जेल के पुलिस अधिकारियों की ओर से किए गए मॉक ड्रिल का है। सोशल मीडिया पर फैल रही अफवाहें झूठी और निराधार हैं।”