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जयपुर

पकड़ी जाएगी झूठी मुस्कान

ब्रिटेन की एक यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा सॉफ्टवेयर विकसित किया है, जो कथित तौर पर फनी या फेक स्माइल्स का पता लगा सकता है।

जयपुरJul 31, 2019 / 12:12 pm

Kiran Kaur

निकट भविष्य में कम्प्यूटर को यह विश्वास दिलाना बहुत मुश्किल हो सकता है कि आप खुश हैं जबकि आप वास्तव में हैप्पी मूड में न होंं। ऐसा इसलिए क्योंकि ब्रिटेन की एक यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा सॉफ्टवेयर विकसित किया है, जो कथित तौर पर फनी या फेक स्माइल्स का पता लगा सकता है। प्रो. हसन उगेल के नेतृत्व में, शोधकर्ताओं ने दो पूर्व-विद्यमान डेटासेटों के साथ शुरुआत की। इनमें से एक जिसे एमयूजी कहा जाता है, में ऐसे लोगों के वीडियो शामिल थे, जो सही मायने में और सहजता से मुस्कुरा रहे थे, जबकि अन्य जिसे सीके+ कहा जाता है, में ऐसे लोगों के वीडियो थे जो कि फेक स्माइल कर रहे थे। वीडियो में व्यक्तियों के चेहरों को मैप करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित एल्गोरिदम का उपयोग किया गया। एक्सपर्ट ने लोगों के चेहरे, गाल और आंखों का अध्ययन किया। इस दौरान सबसे ज्यादा लोगों की आंखों की मूवमेंट हुई। अपनी तकनीक में वैज्ञानिकों ने यह पाया कि जो लोग सच में मुस्कुरा रहे थे, उनकी आंखों की मांसपेशियां फेक स्माइल करने वाले लोगों की तुलना में 10 फीसदी अधिक स्थानांतरित थीं। यह शोध एडवांस्ड इंजीनियरिंग इंफोर्मेटिक्स जर्नल में प्रकाशित हुआ है। अपने शोध के निष्कर्ष में वैज्ञानिकों ने कहा कि वे सॉफ्टवेयर के माध्यम से यह पता लगाने में सक्षम हैं कि कौन असल में मुस्कुरा रहा है और कौन फेक स्माइल कर रहा है। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि यह तकनीक अंतत: बेहतर बॉयोमीट्रिक सुरक्षा प्रणालियों, कम्प्यूटर इंटरफेस और मनोवैज्ञानिक अध्ययन जैसे अनुप्रयोगों में प्रयोग की जा सकती है। प्रो. हसन उगेल के अनुसार हंसते समय हम अपनी मांसपेशियों के दो सेटों का प्रयोग करते हैं- जिगोमैटिकस मेजर, जो मुंह को ऊपर की ओर ले जाने के लिए जिम्मेदार है और ऑर्बिकुलेरिस ऑकुली, जो हमारी आंखों के चारों ओर सिकुडऩ का कारण बनती है। नकली मुस्कुराहट में अक्सर केवल मुंह की मांसपेशियां होती हैं, जो आगे बढ़ती हैं।
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