यदि भ्रूण को व्यक्ति माना जाता है तो उन्हें भी गिनती में शामिल किया जाएगा? यदि हां तो कैसे उनकी गणना की जाएगी? ये भी बड़ी चुनौती है, यदि छह माह के भ्रूण को व्यक्ति का दर्जा दिया जाएगा तो घर-घर जाकर पूछना होगा कि उनके गर्भ में कितने दिन का बच्चा है। कई जगह संसाधन भी पूरे नहीं। देश और राज्यों में स्थानीय निकायों में अब तक व्यक्ति मानकर ही कानून बनाए गए हैं। वह भले ही संपत्ति, सुरक्षा अथवा स्वतंत्रता का कानून हो। अब तक व्यक्ति के जन्म अथवा उसके आव्रजन को लेकर ही नियम बने हैं, लेकिन राज्यों के लिए भ्रूण के लिए इन नियमों में संशोधन करना भी चुनौतीपूर्ण होगा।
मुंबई हाईकोर्ट ने पिछले वर्ष सितंबर में 18 वर्षीय एक बलात्कार पीडि़ता की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उसने 27 हफ्ते के भ्रूण को गिराने की अनुमति मांगी थी। तब अदालत ने भ्रूण के अधिकारों की समीक्षा की बात कही। देश में पहली बार ये सवाल भी उठा कि क्या भ्रूण को व्यक्ति का दर्जा दिया जा सकता है? गर्भ में पल रहे एम्ब्रियो को आठ हफ्ते बाद से पैदा होने तक कानून की नजर में वह ‘फीटस’ यानी ‘भ्रूण’ माना गया।