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जयपुर

कोर्ट आदेशों का पालन कराओ, नहीं तो सचिवों पर कार्रवाई करेंगे

—4022 अवमानना याचिका लम्बित बताते हुए हाईकोर्ट ने की सख्त टिप्पणीकोर्ट बोला, लगता है प्रशासनिक व्यवस्था लचर है, सीएस दखल करें

जयपुरAug 07, 2020 / 10:36 pm

KAMLESH AGARWAL

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जयपुर। अदालती आदेश लेकर पीड़ित चक्कर लगाते रहते हैं और उनको फिर से न्यायालय आना पडता है। लोगों की इस पी ड़ा पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए सख्त लहजे में टिप्पणी की है कि लगता है प्रशासनिक व्यवस्था लचर है और अधिकारियों को कोर्ट के आदेश की परवाह ही नहीं है। जून तक 4022 अवमानना याचिकाएं लम्बित थी। अब मुख्य सचिव आदेशों की पालना कराई जाए, नहीं तो सचिव या दूसरे अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी।
न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा ने एक मामले में यह टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि पीडित के पक्ष में फैसला आ जाता है तब भी राज्य सरकार के अधिकारी उसकी पालना करने की जगह मामला लटकाएं रखते हैं। न्यायालय ने इस आदेश की प्रति मुख्य सचिव को भेजी है और याचिकाकर्ता छीतरलाल मीणा के मामले में 24 अगस्त तक अदालती आदेश की पालना रिपोर्ट मांगी है। न्यायालय ने कहा कि आदेश की पालना करवाने का जिम्मा विभाग के सचिव का होता है, इसलिए मुख्य सचिव इस स्थिति पर ध्यान दें।
एसीएस भी नहीं दिला पाए लांगरी को न्यूनतम वेतन
दरअसल हाईकोर्ट ने लांगरी को अदालत ने न्यूनतम वेतन देने के आदेश दिए थे, जिसकी पालना के लिए 2018 से यह अवमानना याचिका चल रही है। इस मामले में अतिरिक्त मुख्य सचिव रोहित कुमार पक्षकार हैं और सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता डॉ. विभूति भूषण शर्मा ने पैरवी की। इस मामले की सुनवाई के दौरान अदालत की जानकारी में आया कि अदालती आदेश की पालना के लिए पुलिस अधीक्षक और पुलिस उप महानिरीक्षक तक बार—बार पत्र लिख चुके हैं, लेकिन पालना के लिए अब तक अधिकारियों के बीच पत्र व्यवहार चल रहा है। इसी वजह से अब तक आदेश की पालना नहीं हो सकी है।
इन विभागों में सबसे ज्यादा अवमानना मामले

अधिवक्ताओं के अनुसार, शिक्षा विभाग, चिकित्सा विभाग, पुलिस, स्थानीय निकाय विभाग, जेडीए, आवासन मंडल, पंचायती राज विभाग से ज्यादातर अवमानना के मामले लंबित है। इन विभागों को लेकर सबसे ज्यादा अवमानना याचिकाएं दाखिल होती है।
केस एक
दस जुलाई को अदालती आदेश के बाद भी बंदी को रिहा नहीं करने पर जिम्मेदार अधिकारियों पर एक लाख का जुर्माना लगाया।

केस दो

इसी माह सेवानिवृत्त रोडवेजकर्मियों को पेंशन परिलाभ नहीं देने पर अवमानना याचिका। रोडवेज एमडी से मांगी वित्तिय स्थिति की जानकारी।
केस तीन
जुलाई माह में न्यायालय आदेश के बाद तृतीय श्रेणी शिक्षक को परिलाभ नहीं देने पर नोटिस जारी कर मांगा जवाब

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