केंद्र सरकार की क्लिनिकल ट्रायल रजिस्ट्री द्वारा ग्लैनमार्क कंपनी के इस ट्रायल को अनुमति प्रदान की गई है। पत्रिका पड़ताल में साफ हुआ है कि अनुमति की पहली शर्त है कि यह ट्रायल सिर्फ 40 से 70 साल के ऑस्टियोऑर्थराइटिस रोगियों पर ही किया जाना है। मालपाणी अस्पताल में इसका सीधे तौर पर उल्लंघन हो रहा था।
ग्लैनमार्क कंपनी का यह ट्रायल देश में 38 अस्पतालों में चल रहा है। मालपाणी मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल के हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. राजीव गुप्ता को कंपनी यह ट्रायल करने के लिए चयनित किया है।
मालूम चला है कि मालपाणी अस्पताल में ट्रायल के रोगियों के लक्ष्य पूरे करने के लिए दलाल तैनात किए गए हैं। इनके जरिए दूर दराज के गांवों से लोगों को यहां लाया जा रहा था।
(ट्रायल करने वाले डॉ.राजीव गुप्ता से सीधी बात)
पत्रिका : मालपाणी अस्पताल में जो ट्रायल चल रहा है, आपके नाम से पंजीकृत है?
डॉ. गुप्ता : हां, बिल्कुल मेरे नाम से ही पंजीकृत है।
पत्रिका : ट्रायल के लिए ऐसे लोग कैसे लाए गए, जिन्हें बीमारी ही नहीं ?
डॉ. गुप्ता : मुझे खुद को नहीं पता कि इन्हें किस तरह मालपाणी अस्पताल में लाया गया।
पत्रिका : गांव से मरीजों को लाया गया तो वहां डॉक्टर जाकर शिविर लगाते और चयनित कर लाया जाता, ऐसे कैसे किसी के भी जरिए मरीजों को लाया गया ?
डॉ. गुप्ता : मैं कह रहा हूं ना कि इन्हें किस तरह लाया गया और क्यों लाया गया, मुझे नहीं पता, मेने तो खुद आज अखबारों में देखा तो मुझे इस मामले का पता लगा
चिकित्सा विभाग ने रिकॉर्ड किया सीज
इधर, यह पूरा मामला सामने आने के बाद मालपाणी अस्पताल में चल रहे इस ट्रॉयल की जांच शुरू कर दी है। अस्पताल प्रशासन के अतिरिक्त निदेशक डॉ.रविप्रकाश सहित अन्य अधिकारी शनिवार दोपहर अस्पताल पहुंचे और यहां के रिकॉर्ड की जांच की। साथ ही यहां मौजूद डॉक्टरों व अन्य स्टाफ के बयान भी लिए। डॉ. रविप्रकाश ने बताया कि पंजीकृत डॉ. राजीव गुप्ता व संबंधित मरीज वहां नहीं मिले। अस्पताल में मौजूद ट्रॉयल से संबंधित रिकॉर्ड को सीज कर दिया गया है।