राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने भी चटर्जी के निधन पर ट्वीटर पर शोक व्यक्त किया है। सोमनाथ चटर्जी जिन्होंने अपने स्वभाव से अपने नाम को उच्चासीन कर दिया। वह हिंदू महासभा के अध्यक्ष के बेटे थे लेकिन अपनी राजनीति के लिए उन्होंने कम्युनिस्ट पार्टी को चुना। वह माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के सदस्य रहे और लंबे समय से लोक सभा के सदस्य रहे। जिससे उन्हें संसद की गरिमा को समझने का ख़ूब मौक़ा मिला।
वह लोक सभा अध्यक्ष के आसन पर बैठने वाले देश के पहले कम्युनिस्ट नेता भी रहे। सोमनाथ चटर्जी देश भर में माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के सबसे प्रखर वक्ता के रुप में जाने जाते रहे। लोकसभा अध्यक्ष होने के बाद भी उनकी तीखी लेकिन हास्यबोध से भरपूर टिप्पणियाँ सुनाई देती रहीं।
दस बार चुनाव जीतकर लोकसभा में पहुँचने वाले सोमनाथ चटर्जी 1968 में माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य बने और 1971 में पहली बार लोकसभा के सदस्य बने। 1984 में जादवपुर में ममता बनर्जी से हुई उनकी हार को छोड़ दें तो वह बोलपुर लोकसभा क्षेत्र से लगातार जीतते रहे हैं और उनकी जीत का अंतर लगातार बढ़ता रहा है। मसलन 1998 में उनकी जीत का अंतर 2.5 लाख था, 1999 में 1.86 लाख तो 2004 वह 3.1 लाख वोटों से जीतकर लोकसभा में पहुंचे। उन्हें 1996 में सर्वश्रेष्ठ सांसद का पुरस्कार भी मिला।
25 जुलाई 1929 को असम के तेजपुर में पैदा हुए सोमनाथ चटर्जी की एमए की शिक्षा ब्रिटेन के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में हुई। वह बार-एट-लॉ भी रहे। सोमनाथ चटर्जी विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं से अपने अच्छे संबंधों के लिए भी जाने गए। इसी का परिणाम था कि कांग्रेस ने ख़ुद उन्हें लोकसभा अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव दिया।
वह संसद में विशेषाधिकार, रेलवे और संचार की समितियों के चेयरमैन रहे हऔर वित्त और गृह मंत्रालय की सलाहकार समितियों में भी उन्होंने कार्य किया। दुनिया भर में यात्राएँ कर चुके सोमनाथ चटर्जी इंडियन लॉ इंस्टिट्यूट और इंटरनेशनल लॉ एसोसिएशन के अलावा देश की अनेक संस्थाओं के सदस्य भी रहे।