मेट्रो प्रशासन से मिली जानकारी के मुताबिक एजिस रेल डिटेल सर्वे करवाएगी। कंपनी ट्रेफिक सर्वे, जंक्शन सर्वे, यात्री सर्वे, हाउसहोल्ड सर्वे और लोगों का वास्तविक फीडबैक जानने के लिए रोड साइड इंटरव्यू करेगी। अब ये कंपनी सीतापुरा से अम्बावाड़ी तक करीबन 24 किलोमीटर लम्बे मेट्रो रूट की समीक्षा कर उसमें खामियां तलाशेगी, जिसके कारण निवेशक प्रोजेक्ट में रुचि नहीं दिखा रहे हैं।
जयपुर मेट्रो फेज-2 की पहली डीपीआर 2012 में बनी थी। इसमें सीतापुरा से अम्बावाड़ी तक करीब 24 किलोमीटर लम्बे रूट पर मेट्रो चलाने का खर्च 6,583 करोड़ रुपए अनुमानित था। जो 2014 की संशोधित डीपीआर में बढ़कर 10,300 करोड़ रुपए हो गया। संशोधित डीपीआर में एक और बदलाव ये आया कि इसमें अंडरग्राउंड स्टेशनों की संख्या 5 से बढ़कर 7 हो गई। जबकि एलिवेटेड स्टेशन की संख्या 15 से घटकर 13 हो गई।
राज्य सरकार ने फेज—2 में निवेश तलाशने के लिए जुलाई 2014 में डीपीआर में संशोधन किया। इसके बाद 2015-16 में 5 देशों की कंपनियां जयपुर मेट्रो का दौरा करने आईं। इनमें चीन, अमरीका, सिंगापुर, कोरिया और मलेशिया की निवेशक कंपनियों के प्रतिनिधि मंडल शामिल थे। सिंगापुर की टीम तो दो बार फेज—2 रूट का दौरा करके गई। लेकिन एक ही साल में पांचों कंपनियों ने एक—एक करके निवेश से हाथ खींच लिए। इससे मेट्रो का फेज—2 अटक गया, जो अब तक अटका है।