इन तमाम परिस्थितियों के बीच केंद्र राज्यों पर और राज्य केंद्र पर टैक्स की दरों में छूट देकर जनता को राहत देने की अपील करती जा रही हैं। एक-दूसरे के पाले पर गेंद डालने और आरोप-प्रत्यारोपों के गरमाये माहौल के बीच पेट्रोलियम कम्पनियाँ ईंधन की दरें बधाई जा रही हैं।
सीएम गहलोत ने लिखा पीएम मोदी को खत मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पेट्रोल एवं डीजल की बेतहाशा बढ़ती कीमतों तथा रसोई गैस सिलेण्डर पर दी जाने वाली सब्सिडी समाप्त करने पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने महंगाई से त्रस्त आमजन को तत्काल राहत दिलाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखा है।
पेट्रोल-डीज़ल की बढ़ती कीमतों से बढ़ी महंगाई गहलोत ने कहा कि जनवरी 2013 में पेट्रोल की कीमत 70 रूपए 81 पैसे प्रति लीटर तथा डीजल की कीमत 49 रूपए 33 पैसे प्रति लीटर थी, जो वर्तमान में क्रमशः 108 रूपए 21 पैसे प्रति लीटर तथा 99 रूपए प्रति लीटर तक पहुंच गया है। पेट्रोल और डीजल की इन बढ़ती कीमतों से आम आदमी के लिए घर का खर्च चलाना मुश्किल हो गया है। परिवहन लागत में वृद्धि से माल एवं सेवाओं की लागत भी बढ़ गई है। खुदरा महंगाई दर पिछले कुछ समय में 6 फीसदी से अधिक है, जिसकी मुख्य वजह पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतें हैं।
गैस सिलेंडर के दाम चुकाने में जनता असमर्थ
गहलोत ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में लिखा है कि देश के बीपीएल परिवारों को स्वच्छ ईंधन मुहैया कराने के लिए केंद्र ने प्रधानमंत्री उज्जवला योजना शुरू की थी, लेकिन रसोई गैस के दाम बढ़ने के कारण यह योजना गरीब परिवारों को राहत देने में विफल साबित हो रही है। कोविड के कारण आजीविका के संकट से जूझ रहे गरीब लोग रसोई गैस पर अनुदान समाप्त करने के कारण सिलेण्डर के दाम चुकाने में असमर्थ हो गए हैं। इसके चलते सिलेण्डर रिफिल कराने वाले उपभोक्ताओं के प्रतिशत में निरंतर कमी आ रही है, जो गंभीर चिंता का विषय है।
18 माह से उपभोक्ताओं की सब्सिडी बंद मुख्यमंत्री ने कहा कि सब्सिडी को समाप्त करने से घरेलू रसोई गैस की कीमतों में जो बढ़ोतरी हुई है, वह उपभोक्ताओं के लिए असहनीय है। इससे लोगों के घर का बजट गड़बड़ा गया है और लोगों के लिए गैस सिलेण्डर रिफिल करवाना बूते से बाहर होता जा रहा है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2013 के जनवरी माह में घरेलू गैस के एक सिलेण्डर की कीमत 865 रूपए थी, जिस पर 477 रूपए की सब्सिडी मिल रही थी। उस समय एक गैस सिलेण्डर के लिए उपभोक्ता को मात्र 388 रूपए ही खर्च करने होते थे। बीते 18 माह से उपभोक्ताओं को सब्सिडी नहीं दी जा रही है। मजबूरन गरीब एवं मध्यम-वर्गीय परिवारों की महिलाएं खाना पकाने के लिए लकड़ी एवं अन्य परम्परागत ईंधन का उपयोग कर रही हैं। इससे उनके स्वास्थ्य एवं पर्यावरण पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है।
उचित कदम उठाये केंद्र, जनता को मिले राहत मुख्यमंत्री ने कहा कि रसोई गैस तथा पेट्रोल एवं डीजल के बढ़ते आर्थिक भार से आम जनता में असंतोष है। इनकी बढ़ती कीमतों पर नियंत्रण करने के लिए केंद्र सरकार उचित कदम उठाए और कोविड के कारण पहले से ही आर्थिक संकट से जूझ रहे लोगों को राहत प्रदान करे।