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जयपुर

हूबहू पेंटिंग बनाने की इस कला को देखकर आप भी रह जायेगें हैरान

-एक बार देखने पर बना लेते हैं हूबहू पेंटिंग ,ध्यान से चित्रकारी करते हैं शम्मी बन्नू शर्मा,बेहतरीन चित्रकारी के लिए मिल चुके कई सम्मान

जयपुरFeb 05, 2018 / 01:51 pm

Vikas Jain

painting art
टोंक रोड. हमारे परिवार में सात पीढिय़ों से चली आ रही है मिनीएचर पेंटिंग की कला, जिसको मैं भविष्य में भी बरकरार रखना चाहता हूं क्योंकि इस कला की मांग भारत के साथ विदेशों में है। यह कहना है टोंक रोड स्थित श्रीविहार कॉलोनी निवासी 49 वर्षीय शम्मी बन्नू शर्मा का, जिन्होंने केवल 22 साल की उम्र से मिनीएचर पेंटिंग बनाने की शुरूआत कर दी थी। उनकी चित्रकारी की विशेष खासियत यह है कि अगर वह एक बार किसी भी व्यक्ति, वस्तु या जगह को अपनी आंखों से देख लेते हैं तो बाद में बिना देखे ही चित्र के माध्यम से उसे हूबहू रूप दे देते हैं। अपनी इस कला के लिए वह राष्ट्रपति अवार्ड से भी सम्मानित भी हो चुके हैं।
पापा ही मेरे शिक्षक-

शम्मी बन्नू शर्मा ने बताया कि मेरे दादा भी चित्रकार ही थे और जब मेरे पिता केवल 13 वर्ष के थे तभी एक हादसे में मेरे दादा का देहांत हो गया था। इस तरह दादा के चित्रकारी कार्य को संभालने की पूरी जिम्मेदारी मेरे पिता पर आ गई थी और यह जानकारी मुझे मेरे पिता ने बचपन में ही बता दी थी। इस तरह अपने पिता वेदपाल शर्मा को नियमित रूप से चित्रकारी करते देखते हुए शम्मी ने स्वयं भी चित्रकारी का अभ्यास करना शुरू कर दिया। फिर यह चित्रकारी उनकी आदत में शुमार हो गया।
पिता की गैर हाजिरी में बनाई श्रेष्ठ पेंटिंग-
शम्मी ने बताया कि उनके पिता ने उनके दादा से चित्रकारी सीखकर कई बेहतरीन पेंटिंग बनाते हुए चित्रकारी के क्षेत्र में प्रसिद्ध हुए और फिर इस कार्य को अपनी आजीविका में शामिल कर लिया। एक दिन जब उनके पिता किसी अन्य कार्य से घर से बाहर गए हुए थे तब पिता की गैर हाजिरी में एक परिचित उनके घर आया और जल्दबाजी में एक पेंटिंग उनसे बनवाकर ले गया तब उस व्यक्ति ने उनकी बनाई हुई पेंटिंग की जमकर तारीफ की। फिर क्या था इस मौके ने उनमे चित्रकारी के प्रति ऐसा जज्बा जगाया कि विगत लगभग 27 वर्षों के दौरान उन्होंने हजारों तरह की चित्रकारी करते हुए अपनी छाप छोड़ चुके हैं।
विदेशों में भी चित्रकारी की मांग
शम्मी का कहना है कि भारत में सभी कलाओं की पहुंच विदेशों की तुलना में बहुत कम है और उनमें से एक कला पेंटिंग भी है। क्योंकि जब भी कोई विदेशी नागरिक जयपुर या देश के अन्य किसी शहर में घूमने के लिए आता है तो वह अपने देश की विभिन्न कलाओं की बहुत तारीफ करता है। उन्होंने बताया कि जब भी किसी प्रदर्शनी में उनकी ओर से बनाई हुई चित्रकारी को प्रदर्शित करने का मौका मिलता है तो उनके बनाए हुए चित्रों को खरीदने में सबसे आगे विदेशी ही होते हैं।
बच्चों में भी झलक रही चित्रकारी की कला-

राजस्थान विश्वविद्यालय से फाइन आर्ट में ग्रेजुएट की डिग्री पूरी कर चुके शम्मी बन्नू शर्मा ने बताया कि मिनीएचर पेंटिंग की यह कला उनके बच्चों में भी उनको दिखाई देने लगी है, क्योंकि एक बार उनकी गैर हाजिरी में उनकी पुत्री ने एक पेंटिंग बनाकर उनको दिखाया तो उन्होंने स्वयं दांतों तले अंगुली दबा ली क्योंकि उनको यह विश्वास ही नहीं हो रहा था कि उनकी बेटी ने कब और कैसे उनकी तरह बेहतरीन चित्रकारी करना सीखकर इतनी खूबसूरत पेंटिंग बना सकती हैै। उन्होंने बताया कि हालांकि उनका बेटा किसी अन्य फिल्ड में अपना कॅरियर बना रहा है लेकिन उनकी बेटी चित्रकारी के क्षेत्र में ही अपना कॅरियर बनाने के लिए इसी में डिग्री कोर्स कर रही है।

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