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जयपुर

ठाकुरजी को लगेगा अन्नकुट को भोग, सजेगी झांकियां

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जयपुरNov 08, 2018 / 08:34 am

santosh

गोविन्द देव जी

Krishna Janmashtami 2018

जयपुर। शहर के मंदिरों में गुरुवार को गोवर्धन पूजा व अन्नकूट महोत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। मंदिरों ठाकुरजी के अभिषेक के बाद नवीन पोशाक धारण करवाकर अन्नकुट का लगाया जाएगा। लोग ठाकुरजी से अन्न-धन की संपन्नता का आशीर्वाद मांगेंगे। छोटी काशी के मंदिरों में कही दोना प्रसादी तो कही पंगत प्रसादी का आयोजन होगा। जयपुरवासियों के आराध्य गोविंददेवजी मंदिर में महंत अंजनकुमार गोस्वामी के सान्निध्य में अन्नकूट महोत्सव मनाया जाएगा। गोविंददेवजी के अन्नकूट महोत्सव पर छप्पन भोग की झांकी सजाई जाएगी।
प्रवक्ता मानस गोस्वामी ने बताया कि ठाकुरजी को एक सदी पुरानी सोना—चांदी से बनी विशेष पोशाक धारण करवा कर शृंगार किया जाएगा। महाराजा माधोसिंह की अर्पित की हुई यह पोशाक साल में एक बार इसी दिन धारण करवाई जाती है। इस दिन मंदिर के पश्चिमी द्वार पर गोवर्धन पूजा की जाएगी। वैशालीनगर, चित्रकूट स्थित बीएपीएस स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर में अन्नकूट महोत्सव मनाया जाएगा। इसमें भगवान स्वामी नारायण को 801 व्यंजनों व फलों के रस का भोग लगाया जाएगा।
राजस्थानी, गुजराती एवं दक्षिण भारतीय व्यंजन शामिल होंगे। गोर्वधन पर्वक की सजेगी झांकी हरे कृष्णा मूवमेट की ओर से जगतपुरा रोड, अक्षय पात्र के परिसर में स्थित श्री कृष्ण बलराम मंदिर में गुरुवार शाम 5 बजे से गोवर्धन पूजा व अन्नकुट महोत्सव का आयोजन किया जाएगा। संस्था के अध्यक्ष रत्नागदा गोविन्ददास ने बताया इस मौके पर गिरिराज गोवर्धन को 108 किलो केक का भोग लगाया जाएगा। साथ ही गौ पूजा व गोवर्धन पर्वत की झांकी सजाई जाएगी।
संकीर्तन के बाद महाआरती का आयोजन होगा। 11 को होगा अन्नकुट महोत्सव दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के तत्वावधान में सिरह ढ्योडी स्थित रामचंद्रजी के मंदिर में रविवार को साध्वी आर्या भारती के सान्निध्य में अन्नकुट महोत्सव मनाया जाएगा। सुबह ठाकुरजी की झांकी सजाई जाएगी। इसके बाद भजन सत्संग का आयोजन होगा। ठाकुरजी को अन्नकुट का भोग लगाने के बाद अन्नकुट प्रसादी का आयोजन होगा। दोपहर 2 बजे तक चलने वाले महोत्सव में नि:शुल्क चिकित्सा शिविर भी लगाया जाएगा।

अन्नकूट का है विशिष्ट महत्व
दीपवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजन को किए जाने वाले अन्नकूट का विशिष्ट महत्व है। भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों से गिरिराज पूजन करवाया था। गिरिराज को लगाए जाने वाले भोग उत्सव के उपलक्ष्य में ही अन्नकूट उत्सव मनाया जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में इस दिन मवेशियों की पूजा की जाती है। मंदिरों और घरों में अन्नकूट का भोग लगाकर वितरण किया जाता है। भगवान के गिरिराज स्वरूप के आगेचतुर्विध प्रकार और षडरस युक्त व्यंजनों को तैयार भोग लगाया जाता है और भक्तों का वितरित किया जाता है। कई मंदिरों में और धार्मिक पीठ में हजारों लोग इस उत्सव में शामिल होते है। अधिकतर घरों और मंदिरों में अन्नकूट उत्सव दीपावली के अगले दिन तो कई स्थानों पर कार्तिक शुक्ल नवमी और अन्य दिनों में मनाया जाता है। भगवान को विभिन्न प्रकार के पकवान बनाकर, रंगोली मांडकर, पके हुए चावल पर्वताकार में अर्पित किए जाते है। इसे छप्पन भोग की संज्ञा भी दी जाती है।

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