डॉ. अजय चौधरी ने बताया कि संघ की कोर कमेटी ने तय किया है कि सरकार को दी समय सीमा समाप्त हो चुकी है, ऐसे में आंदोलन को उग्र किया जाएगा। राज्य के समस्त चिकित्सक शुक्रवार को एक दिन का सामूहिक अवकाश लेकर शासन के खिलाफ विरोध जाहिर करेंगे। अगर इस दौरान आमजन को पीड़ा होती है तो उसके लिए राज्य सरकार जिम्मेदार होगी, न सेवारत चिकित्सक। साथ ही सरकार अगर चिकित्सकों को कुचलने का प्रयास करेगी तो राज्य के समस्त चिकित्सक अनिश्चितकालीन अवकाश पर चले जाएंगे।
संघ के प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ. लक्ष्मण सिंह ओला ने बताया कि सरकार चिकित्सकों के खिलाफ की गई दमनात्मक कार्रवाई को तुरंत वापस ले और समझौते का उसकी मूल भावना के अनुरूप क्रियान्वयन करे, ताकि चिकित्सक प्रताडि़त महसूस न करे और अपने पूर्ण मनोभाव से पीडि़त जनता की सेवा कर कर्तव्यनिष्ठा का पालन कर सके, जो जनहित और राज्यहित में है।
सेवारत चिकित्सकों के एक दिन के सामूहिक अवकाश पर जाने से मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा। हालांकि मेडिकल कॉलेज स्तर के अस्पतालों के चिकित्सक यथावत काम करते रहेंगे। लेकिन जिला अस्पतालों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर आने वाले मरीजों को मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है। प्रदेश में करीब 9 हजार सेवारत चिकित्सक कार्यरत हैं, ऐसे में एक साथ सामूहिक हड़ताल पर जाने से चिकित्सा सेवाओं पर विपरीत असर पडऩा तय है।