जयपुर के बोराज के पास भोपों की ढाणी निवासी सूरजमल कुमावत की छह वर्ष पूर्व मजदूरी करते समय हादसे का शिकार हो गया। जिससे रीढ़ की हड्डी टूटने से चल-फिर नहीं सकता ऐसे में अब बिस्तर ही उसका संसार बन चुका है। सूरजमल के परिवार में पत्नी मुन्नी व दो बेटे हैं। ऐसे में अब बच्चों के लालन-पालन का भी संकट खड़ा हो गया है। उसकी जमा पूंजी इलाज में खर्च हो गई अब पत्नी मुन्नी मजदूरी करने जाती है उसी से बच्चों की पढ़ाई और घर खर्च बमुश्किल चल पा रहा है।
यह भी पढे: चारपाई पर सो रहे तीन बच्चों को सर्प ने डसा,एक की मौत
ऐसा नहीं कि सूरजमल ने सरकारी मदद के लिए गुहार नहीं लगाई, लेकिन लालफीताशाही के आगे वह भी हार गया और किसी प्रकार की सरकार मदद नहीं मिली है। मुन्नीदेवी की आंखों में पति के इलाज को लेकर चिंता साफ दिखाई देती है। उसने बताया कि चिकित्सकों ने सूरज की रीढ़ की हड्डी के ऑपरेशन की सलाह दी, लेकिन रुपए के अभाव में ऑपरेशन नहीं करवा पा रहे। अब तो हालात यह है कि दवाई खरीदने के भी पैसे नहीं हैं। हालांकि गत माह से 750 रुपए हर महीने पेंशन के मिलने लगे हैं लेकिन महंगाई के दौर में यह ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रहे हैं। सूरजमल ने बताया कि उधार लेकर उपचार में लगा चुका है, अब उसके पास इलाज के लिए चवन्नी भी नहीं है।
ऐसा नहीं कि सूरजमल ने सरकारी मदद के लिए गुहार नहीं लगाई, लेकिन लालफीताशाही के आगे वह भी हार गया और किसी प्रकार की सरकार मदद नहीं मिली है। मुन्नीदेवी की आंखों में पति के इलाज को लेकर चिंता साफ दिखाई देती है। उसने बताया कि चिकित्सकों ने सूरज की रीढ़ की हड्डी के ऑपरेशन की सलाह दी, लेकिन रुपए के अभाव में ऑपरेशन नहीं करवा पा रहे। अब तो हालात यह है कि दवाई खरीदने के भी पैसे नहीं हैं। हालांकि गत माह से 750 रुपए हर महीने पेंशन के मिलने लगे हैं लेकिन महंगाई के दौर में यह ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रहे हैं। सूरजमल ने बताया कि उधार लेकर उपचार में लगा चुका है, अब उसके पास इलाज के लिए चवन्नी भी नहीं है।
यह भी पढे: दीपावली का त्योहार नजदीक, किसान का खर्चा चलना भी मुश्किल
वो दिन याद कर छलक जाते हैं आंसू
बेटा दिव्यांशु (7) सरकारी स्कूल की तीसरी कक्षा में पढ़ता है, वहीं छोटे बेटा महेन्द्र (4) अभी स्कूल नहीं जाता है। हादसे के बाद चारपाई पर लेटे सूरजमल की आंखों में बेटों के भविष्य की चिंता साफ झलकती है। सूरजमल वर्ष २०११ में बालाजी रोड पर कारीगरी का कार्य करते हुए ऊपर से गिर गया था तब से आज तक जयपुर के सवाईमानसिंह अस्पताल सहित अनेक चिकित्सालयों में उपचार करवा चुका लेकिन रीढ़ की हड्डी ठीक नहीं हुई।
वो दिन याद कर छलक जाते हैं आंसू
बेटा दिव्यांशु (7) सरकारी स्कूल की तीसरी कक्षा में पढ़ता है, वहीं छोटे बेटा महेन्द्र (4) अभी स्कूल नहीं जाता है। हादसे के बाद चारपाई पर लेटे सूरजमल की आंखों में बेटों के भविष्य की चिंता साफ झलकती है। सूरजमल वर्ष २०११ में बालाजी रोड पर कारीगरी का कार्य करते हुए ऊपर से गिर गया था तब से आज तक जयपुर के सवाईमानसिंह अस्पताल सहित अनेक चिकित्सालयों में उपचार करवा चुका लेकिन रीढ़ की हड्डी ठीक नहीं हुई।
यह भी पढे: बस्सी खेल स्टेडियम में धावक दौड़े तो पैरों में कांटे जैसी चुभन
कोई नहीं दे रहा है आर्थिक मदद
सूरजमल की स्थिति देख एक बारगी हर किसी की आंखों में आंसू छलक सकते हैं, लेकिन न तो समाज की ओर से न ही सरकार की ओर से उसके उपचार के लिए कोई आर्थिक मदद नहीं मिल रही है। स्थानीय निवासी पेशे से पशु चिकत्सक डॉ. दौलत सिंह शेखावत ने बताया कि सूरज की स्थिति देख उसने लोगों को मदद के लिए प्रेरित भी किया। ऐसा कोई दिन नहीं जाता जब डॉ. शेखावत सूरज से मिलने उसके घर नहीं जाते हों।
कोई नहीं दे रहा है आर्थिक मदद
सूरजमल की स्थिति देख एक बारगी हर किसी की आंखों में आंसू छलक सकते हैं, लेकिन न तो समाज की ओर से न ही सरकार की ओर से उसके उपचार के लिए कोई आर्थिक मदद नहीं मिल रही है। स्थानीय निवासी पेशे से पशु चिकत्सक डॉ. दौलत सिंह शेखावत ने बताया कि सूरज की स्थिति देख उसने लोगों को मदद के लिए प्रेरित भी किया। ऐसा कोई दिन नहीं जाता जब डॉ. शेखावत सूरज से मिलने उसके घर नहीं जाते हों।
यह भी पढे: अजीतगढ़ में खुला ऐसा बैंक जिसमें रुपए नहीं, सिर्फ गरीब बेसहारा को कपड़े मिलेंगे
बेघर लेकिन बीपीएल कार्ड नहीं बना
छह साल से सूरज को आर्थिक मदद करना तो दूर सरकार ने उसका बीपीएल कार्ड तक नहीं बनाया। ग्राम पंचायत द्वारा बीपीएल में चयन करने के कागजात पंचायत समिति व उच्चाधिकारियों को भिजवाया जा चुका है, लेकिन ऊपर से अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। सूरज के पास खुद के रहने के लिए घर नहीं होने से छोटे भाई के घर एक कमरे में रहता है। अब उसे चिंता सता रही है कि भाई की शादी होने के बाद वह कहा रहेगा।
बेघर लेकिन बीपीएल कार्ड नहीं बना
छह साल से सूरज को आर्थिक मदद करना तो दूर सरकार ने उसका बीपीएल कार्ड तक नहीं बनाया। ग्राम पंचायत द्वारा बीपीएल में चयन करने के कागजात पंचायत समिति व उच्चाधिकारियों को भिजवाया जा चुका है, लेकिन ऊपर से अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। सूरज के पास खुद के रहने के लिए घर नहीं होने से छोटे भाई के घर एक कमरे में रहता है। अब उसे चिंता सता रही है कि भाई की शादी होने के बाद वह कहा रहेगा।