करीब 2500 इनडोर मरीज क्षमता वाले एसएमएस अस्पताल की मेडिकल रीलिफ सोसायटी को ही इस व्यवस्था के बाद सालाना करीब 150 करोड़ से अधिक अर्जित होने का रास्ता खुल गया है। बीमा योजना से जुड़े सूत्रों के अनुसार बीमा कंपनी से करीब 40 प्रतिशत भुगतान सरकारी अस्पतालों को मिल रहा है।
1700 में से 150 पैकेज सिर्फ सरकारी में योजना में करीब 1700 बीमारियों के पैकेज तय किए गए हैं। इनमें से 150 को सिर्फ सरकारी के लिए ही आरक्षित किया गया है। बीमा के बाद भी इनकी सुविधा सिर्फ सरकारी में मिलेगी और सरकार इसका भुगतान बीमा कंपनी से लेगी।
कंगाल खजाना भरने का रास्ता…चिरंजीवी नहीं..तो इलाज नहीं राज्य में 12 वर्ष पहले नि:शुल्क जांच योजना शुरू होने के बाद सरकारी अस्पतालों की आरएमआरएस की आय ठप हो गई थी। अस्पतालों के लिए खर्चे निकालना मुश्किल हो गया। तब सरकार ने इसकी क्षतिपूर्ति के लिए अस्पतालों को बजट आवंटित करना शुरू किया। लेकिन अब बीमा योजना के जरिये राज्य के सभी सरकारी अस्पतालों को सालाना करीब 1000 करोड़ तक मिलने का रास्ता खुल गया है। यह पैसा अस्पतालों की मेडिकल रीलिफ सोसायटियों (आरएमआरएस) के पास पहुंचेगा। यहां तक की अस्पतालों को यह भी कहा गया है कि भर्ती वाले मरीजों से चिरंजीवी कार्ड मंगवाकर ही इलाज किया जाए।
बीमा योजना का गणित करीब 1.38 करोड़ परिवार चिरंजीवी बीमा करवा चुके हैं। इनमें से करीब 13 लाख परिवारों से सालाना 850 रुपए प्रीमियम लिया जाता है। शेष परिवार विभिन्न योजनाओं के तहत नि:शुल्क श्रेणी में आते हैं। इनका पूरा प्रीमियम सरकार ही देती है। सरकार अपना अंशदान मिलाकर 1960 रुपए प्रति परिवार के हिसाब से कंपनी को सभी पंजीकृत परिवारों के लिए सालाना करीब 2700 करोड़ रुपए का भुगतान करती है।
— खर्च क संपूर्ण आंकलन के बाद सरकारी और निजी अस्पताल में पैकेज दरें एक जैसी ही रखी गई हैं। एनएबीएच अस्पताल को 15 और पिछड़े जिलों में योजना से जुड़ने वाले अस्पतालों को 5 प्रतिशत अतिरिक्त दिया जाता है।
शुचि त्यागी, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, चिरंजीवी बीमा योजना
— बीमा योजना में सरकार की इस व्यवस्था पर दें अपनी प्रतिक्रिया पत्रिका माय सिटी फेसबुक पेज पर