टैक्स के बोझ से नहीं मिली राहत पंतग व्यवसायियों का कहना है कि कागज पर 12 और धागे पर 5 फीसदी टैक्स पहले से था। इसके बाद पतंग पर अलग से 5 फीसदी टैक्स लगा दिया गया। इसके विरोध में पतंग व्यापारी 3 माह पहले केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार से मिले लेकिन राहत नहीं मिली।
जुड़े 20 हजार लोग
परकोटे और आसपास के इलाकों में पतंगें खूब बनती रही हैं। बीस हजार से अधिक कारीगर वर्षों से यह काम करते आए हैं। इनमें बड़ी संख्या महिलाओं की है। हांडीपुरा निवासी सलीम कहते हैं कि बीते साल की तुलना में इस बार कच्चा सामान 15 से 20 फीसदी महंगा आया है। ऑर्डर भी पिछले साल की तुलना में 25 से 30 फीसदी कम मिला है।
परकोटे और आसपास के इलाकों में पतंगें खूब बनती रही हैं। बीस हजार से अधिक कारीगर वर्षों से यह काम करते आए हैं। इनमें बड़ी संख्या महिलाओं की है। हांडीपुरा निवासी सलीम कहते हैं कि बीते साल की तुलना में इस बार कच्चा सामान 15 से 20 फीसदी महंगा आया है। ऑर्डर भी पिछले साल की तुलना में 25 से 30 फीसदी कम मिला है।
बाहर से नहीं आ पा रहीं पतंगें
जयपुर में उप्र के कानपुर, बरेली, रामपुर और आगरा से भी पतंगें आती हैं लेकिन जीएसटी लागू होने के बाद पतंगें लाने में दिक्कत हो रही है। शहर के व्यापारियों का कहना है कि यह व्यवसाय घरों में होता है। ऐसे में फर्म का जीएसटी नम्बर नहीं होने से ट्रांसपोर्ट पर माल नहीं लिया जा रहा। यही स्थिति जयपुर से बाहर जाने वाली पतंगों की है। शहर के डेढ़ दर्जन बड़े पतंग कारोबारियों में से अधिकतर ने जीएसटी नम्बर तो लिए लेकिन जिन्हें भेजना है, उनके पास नम्बर नहीं होने से दिक्कत आ रही है।
जयपुर में उप्र के कानपुर, बरेली, रामपुर और आगरा से भी पतंगें आती हैं लेकिन जीएसटी लागू होने के बाद पतंगें लाने में दिक्कत हो रही है। शहर के व्यापारियों का कहना है कि यह व्यवसाय घरों में होता है। ऐसे में फर्म का जीएसटी नम्बर नहीं होने से ट्रांसपोर्ट पर माल नहीं लिया जा रहा। यही स्थिति जयपुर से बाहर जाने वाली पतंगों की है। शहर के डेढ़ दर्जन बड़े पतंग कारोबारियों में से अधिकतर ने जीएसटी नम्बर तो लिए लेकिन जिन्हें भेजना है, उनके पास नम्बर नहीं होने से दिक्कत आ रही है।
कारोबार इतना बड़ा
20 हजार से अधिक पतंग कारीगर हैं शहर में
50 फीसदी दुकानें ही लग पाएंगी इस बार, स्थिति यही रही तो
40 करोड़ का कारोबार होता है राजस्थान, दिल्ली, उप्र में
20 हजार से अधिक पतंग कारीगर हैं शहर में
50 फीसदी दुकानें ही लग पाएंगी इस बार, स्थिति यही रही तो
40 करोड़ का कारोबार होता है राजस्थान, दिल्ली, उप्र में