चातुर्मास का व्रत आषाढ मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी यानि देवशयनी एकादशी से शुरू होता है पर कई लोग इस दिन यह व्रत प्रारंभ नहीं कर पाते. ऐसे लोग अन्य तिथियों पर यह व्रत शुरु कर सकते हैं. ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश परसाई के अनुसार जो लोग देवशयनी एकादशी पर यह साधना शुरू नहीं कर सके, वे निराश न हों. ये साधक आषाढ मास में शुक्ल पक्ष की द्वादशी पर चातुर्मास व्रत प्रारंभ कर सकते हैं. इतना ही नहीं चातुर्मास साधना पूर्णिमा के दिन भी प्रारंभ की जा सकती है. इसके अलावा जब सूर्य का मिथुन राशि से कर्क राशि में प्रवेश होता हैं तब से भी चातुर्मास के व्रत को प्रारंभ किया जा सकता है।
ज्योतिषाचार्य पंडित दिनेश शर्मा बताते हैं कि चातुर्मास में केवल एक ही बार भोजन करना चाहिए. जितना सम्भव हो जल का अधिक से अधिक प्रयोग करें. श्रावण में शाक का,भाद्रपद में दही,आश्विन में दूध और कार्तिक में दाल का सेवन नहीं करना चाहिए.