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जयपुर

फेल होने और पेपर डयू रहने से आधा दर्जन नेताओं पर छात्रसंघ चुनाव की दौड़ से बाहर होने का खतरा

अब रिवेल्यूशन के भरोसे,छात्रसंगठनों की टिकट के दावेदार भी शामिल

जयपुरAug 07, 2019 / 10:49 am

HIMANSHU SHARMA

Rajasthan University

Rajasthan University


जयपुर
राजस्थान विश्वविद्यालय के छात्रसंघ चुनावों में इस साल फेल होने के कारण आधा दर्जन छात्रनेताओं पर चुनावी मैदान की दौड़ से बाहर होने का खतरा मंडराने लगा हैंं। इस साल विश्वविद्यालय के प्रमुख छात्र संगठनों से जुड़े करीब आधा दर्जन छात्रनेता ऐसे है जो या तो फेल हो गए है और या उनके पेपर डयू रह गए है और सेमेस्टर परीक्षा में उनका क्रेडिट स्कोर पूरा नहीं हैं। मुख्य परीक्षा में फेल होने के कारण अब इन छात्रनेताओं का चुनाव लड़ने का सपना अब सिर्फ रिवेल्यूशन परिणाम पर टिका हैं। अब छात्रसंघ चुनावों के कार्यक्रम घोषित होने के बाद नामांकन से पहले इन नेताओं को परिणाम विश्वविद्यालय जारी कर देता है और यह इसमें पास होते है तो ही चुनाव लड़ने के योग्य होंगे।
इसी नियम से बाहर होते है छात्रनेता
राजस्थान विश्वविद्यालय में छात्रसंघ चुनाव लिंगदोह कमेटी के नियमानुसार होते है। लिंगदोह कमेटी के नियमानुसार कोई भी विद्यार्थी जब ही चुनाव लड़ने के लिए योग्य है जब उसके पिछली परीक्षा में सभी पेपर पास है और कोई भी पेपर डयू नहीं दिखा रहा हो। वहीं जहां पर सेमेस्टर स्कीम लागू है वहां पर किसी भी विद्यार्थी के लिए 144 क्रेडिट स्कोर करना जरूरी होगा। हालांकि पोस्टर चिपकाकर विश्वविद्यालय को बदरंग करने,पुलिस केस,तय राशि से अधिक खर्च करने पर आदि लिंगदोह कमेटी के नियमों के कारण भी छात्रसंघ चुनावों से अयोग्य घोषित करने का नियम हैं। लेकिन राजस्थान विश्वविद्यालय प्रशासन इन नियमों के कारण किसी को भी अयोग्य घोषित नहीं कर पाया हैं। लेकिन परीक्षा परिणाम के नियम ने हर साल कई छात्रनेताओं के चुनाव लड़ने के सपनों पर पानी फेरा है और इस साल भी आधा दर्जन नेता जो छात्रसंगठनों से टिकट के प्रमुख दावेदार है उनके सपनों पर भी पानी फिरता नजर आ रहा हैं।
दो साल पहले फेल हुए लेकिन अब एमएलए
दो साल पहले भी इसी फेल होने के नियम ने एनएसयूआई की टिकट के प्रमुख दावेदार एक छात्रनेता के चुनाव लड़ने के सपने पर पानी फेर दिया था। जिसके बाद विश्वविद्यालय में काफी हंगामा हुआ था। लेकिन यह नेता उस समय खुद तो फेल होने के कारण चुनाव नहीं लड़ सके लेकिन अपनी बहन को एनएसयूआई से टिकट दिलवा लाए। लेकिन वह हार गई। इसके बाद इस नेता को विधानसभा चुनाव में इस बार कांग्रेस ने टिकट दिया और वह जीतकर एमएलए बन गए और वर्तमान में राजस्थान विधानसभा के सदस्य हैं।

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