बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी की पहली सूची पर टिकी नजरें
जयपुर/ जोधपुर। राजस्थान में विधानसभा चुनाव में निर्दलीय विधायक हनुमान बेनीवाल ने न सिर्फ प्रमुख राजनीतिक दलों भाजपा और कांग्रेस को ही परेशानी में डाला हुआ है बल्कि अब निर्वाचन विभाग की भी मुसीबतें बढ़ा दीं हैं। निर्वाचन विभाग के लिए ये नई मुसीबत बना है बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतान्त्रिक पार्टी का चुनाव चिह्न ‘बोतल’।
दरअसल, प्रदेश के विधानसभा चुनाव में नव गठित राजनीतिक दलों के चुनाव चिह्न आवंटित करने के बाद से ही निर्वाचन विभाग अजीब सी परेशानी में चल रहा है। प्रदेश में तीसरे मोर्चे के रूप में उतरे हनुमान बेनीवाल की पार्टी को बोतल का चुनाव चिह्न आवंटन हुआ है। इसके बाद अब निर्वाचन विभाग के सामने नई परेशानी इसलिए पैदा हो गई है, क्योंकि चुनाव प्रचार थम जाने के बाद किसी भी तरह के चुनाव चिह्न का प्रदर्शन कोई भी दल या प्रत्याशी नहीं कर सकता, लेकिन किसी के हाथ में पानी से भरी बोतल हुई तो उसे कैसे रोका जाएगा? क्योंकि हर किसी के पास पानी की बोतल होना आम बात है।
निर्वाचन विभाग का किसी को पानी की बोतल रखने से रोकना मुश्किल होगा। इसके अलावा मतदान बूथ हो या कोई कार्यक्रम, यदि कहीं पर भी पानी की बोतल नजर आएगी तो भी परेशानी बढ़ेगी। हालांकि अभी तक दूसरे दलों की ओर से इस पर एतराज नहीं जताया गया है, पर यदि ऐसा होता है तो इसपर कोई फैसला ले पाना निर्वाचन विभाग के लिए दिक्कतों भरा हो सकता है।
चुनाव में बोतल कितना असर दिखाएगी, यह तो चुनाव परिणाम के बाद पता चलेगा, लेकिन चुनाव चिह्न का प्रचार आचार संहिता के नियमों के विपरीत न हो, इसकी पालना करने में निर्वाचन विभाग को मुश्किल होगी। चुनाव ड्यूटी में लगे कार्मिकों ने भी इस पर चिन्ता जताई कि पानी पीने के लिए अब वे अपने साथ बोतल कैसे रखेंगे और यदि कोई बोतल में पानी लाएंगे तो उन्हें कैसे रोका जाएगा।
मंच पर बोतल दिखी तो क्या होगा बेनीवाल की पार्टी को बोतल चुनाव चिह्न मिलने से कांग्रेस व भाजपा की भी परेशानी बढ़ेगी। किसी भी चुनावी बैठक या मंच पर होने वाले कार्यक्रमों में पीने के पानी की व्यवस्था बोतल के बगैर रखना आसान नहीं है।
चुनाव में ड्यूटी के दौरान मतदान कर्मचारी किसी भी पार्टी के चुनाव चिह्न का प्रचार नहीं कर सकते। वैसे पानी की बोतल रखना चुनाव चिह्न के प्रचार में नहीं आता। छगनलाल गोयल, उप जिला निर्वाचन अधिकारी जोधपुर
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