बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश मिश्रा ने स्वयं की पैरवी करते हुए अदालत में तर्क दिया कि बसपा एक राष्ट्रीय पार्टी है। ऐसे में राज्य स्तर पर विलय नही किया जा सकता, जब तक कि राष्ट्रीय पार्टी की ओर से स्वीकृति नही मिल जाती। इस मामले में राष्ट्रीय नेतृत्व ने विलय को मंजूरी नही दी है इसलिए विलय पूरी तरह से अमान्य है। सतीश मिश्रा इस मामले के लिए लखनऊ से ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जुड़े। कोर्ट में उन्होंने हरियाणा के कुलदीप विश्नोई मामले और जगजीत सिंह केस का हवाला दिया।
इससे पहले हाईकोर्ट ने बुधवार को भाजपा विधायक मदन दिलावर एवं बसपा के अधिवक्ताओं से पूछा कि उनकी याचिकाओं पर सुनवाई क्यों की जाए? दोनों की याचिकाओं पर बुधवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए अधिवक्ताओं ने करीब 1 घंटा 2 मिनट तक पक्ष रखा। इसी दौरान दिलावर ने अपनी दो में से एक याचिका को वापस ले लिया। विधायक मदन दिलावर की ओर से अधिवक्ता हरीश साल्वे ने वीडियो कांफ्रेंसिंग (वीसी) और जयपुर से अधिवक्ता आशीष शर्मा ने पैरवी की। वही बसपा की ओर से दिनेश कुमार गर्ग, सत्यपाल जैन और बसपा के महासचिव सतीश मिश्रा ने वी.सी. पैरवी की। साल्वे ने करीब 21 मिनट तक पैरवी की।