जानकारी के अनुसार तीन माह पहले शहर के एक युवा कारोबारी का एरोनिक ग्रुप की वेरोनिका एनाबेल से संपर्क हुआ। युवती ने झांसा दे कारोबारी को फंसा लिया उसे कहा गया कि यह यूके की ऑनलाइन कंपनी है जो भारत में हर्बल मेडिसिन से जुड़ी सामग्री खरीदती है। आप जितने की खरीद करोगे उसका 40 फीसदी तक मुनाफा होगा। उन्होंने उसको लोकल सप्लायर के तौर पर प्रोजेक्ट किया।
पानी जैसी दवा के 1.62 लाख
सौदा तय होने पर उस लड़की के कहे अनुसार कारोबारी ने शिलॉन्ग (मिजोरम) में पुजारी हर्बल कंपनी की भाग्यश्री से हर्बल मेडिसन खरीदी। पीडि़त के अनुसार वह दवा पानी जैसी थी जिसमें बस कोई रंग घोला हुआ था। दवा 1.62 लाख रुपए की थी। इसके लिए उसने मुंबई के आईसीआईसीआई बैंक में चेक से भुगतान किया।
एयरपोर्ट टर्मिनल पर मिला नीग्रो
पीडि़त ने रिपोर्ट में बताया कि उसके बाद उस सैम्पल को उसने कंपनी के मोरिश गोल्डबन नामक एक नीग्रो को सौंप दिया। इसके लिए वे मुंबई स्थित एयरपोर्ट टर्मिनल पर मिले। मोरिश ने उस एक लीटर की बोतल को तो रख लिया लेकिन कहा कि यह सेंपल कम मात्रा में है। अत: वह कंपनी को इसी दवा का करीब 1.5 करोड़ रुपए मूल्य का सैम्पल मुहैया करवाए।
पीडि़त ने रिपोर्ट में बताया कि उसके बाद उस सैम्पल को उसने कंपनी के मोरिश गोल्डबन नामक एक नीग्रो को सौंप दिया। इसके लिए वे मुंबई स्थित एयरपोर्ट टर्मिनल पर मिले। मोरिश ने उस एक लीटर की बोतल को तो रख लिया लेकिन कहा कि यह सेंपल कम मात्रा में है। अत: वह कंपनी को इसी दवा का करीब 1.5 करोड़ रुपए मूल्य का सैम्पल मुहैया करवाए।
तो ठनका माथा
कंपनी की शर्तों में कहा गया था कि सैम्पल सौंपते ही उसके खाते में 65 हजार अमरीकी डॉलर आ जाएंगे जो नहीं आए। साथ ही 1.62 लाख रुपए खर्च करवाने के बाद भी यूके की कंपनी की ओर से कोई खास रेस्पॉन्स नहीं मिला।
कंपनी की शर्तों में कहा गया था कि सैम्पल सौंपते ही उसके खाते में 65 हजार अमरीकी डॉलर आ जाएंगे जो नहीं आए। साथ ही 1.62 लाख रुपए खर्च करवाने के बाद भी यूके की कंपनी की ओर से कोई खास रेस्पॉन्स नहीं मिला।
पूछताछ पर टालमटोल कर देते
शक होने पर जब कंपनी के दस्तावेजों को टटोला तो फर्जीवाड़ा सामने आने लगा। साथ ही अशोक वागमारे, प्रवीण खंडेलवाल जैसे पीडि़तों की जानकारी मिली जिनसे भी इसी तरह 20 लाख रुपए की ठगी की गई थी। उधर पुलिस का कहना है कि मामले में और भी शिकार सामने आ सकते हैं। पुलिस अभियुक्तों के स्थानीय लिंक तलाश रही है।
शक होने पर जब कंपनी के दस्तावेजों को टटोला तो फर्जीवाड़ा सामने आने लगा। साथ ही अशोक वागमारे, प्रवीण खंडेलवाल जैसे पीडि़तों की जानकारी मिली जिनसे भी इसी तरह 20 लाख रुपए की ठगी की गई थी। उधर पुलिस का कहना है कि मामले में और भी शिकार सामने आ सकते हैं। पुलिस अभियुक्तों के स्थानीय लिंक तलाश रही है।