सांभर झील में प्रवासी पक्षियों की मौत के मामले में राजस्थान हाईकोर्ट ने स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लिया था। मामले पर सोमवार को मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत माहान्ति और न्यायाधीश प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ में सुनवाई हुई। इस दौरान न्यायमित्र अधिवक्ता नीतिन जैन ने विशेषज्ञ कमेटी के लिए कोर्ट को नाम दिए और अतिरिक्त महाधिवक्ता गणेश परिहार ने भी राज्य सरकार की ओर से नाम दिए। जिस पर कोर्ट ने वन विभाग के मुखिया के नेतृत्व में एक सात सदस्यों की कमेटी का गठन कर दिया। इस कमेटी के सभी तरह के खर्च राज्य सरकार वहन करेगी। इसी के साथ न्यायमित्र जैन के सुझाव पर कोर्ट ने मामले में स्टेट वैटलेंड अथॉरिटी को पक्षकार बना दिया। इस अथॉरिटी के अध्यक्ष वन मंत्री खुद है। कोर्ट ने राज्य सरकार को कहा है कि वर्तमान हालात में तत्काल झील के किनारे पर एक अस्थायी नर्सरी बनाए, जहां पर पक्षियों को रखने और इलाज की पूरी सुविधा होनी चाहिए। राज्य सरकार ने कहा था कि उनकी एक नर्सरी कुछ दुरी पर बनी हुई है जिस पर न्यायमित्र ने आपत्ति की थी।
ये हैं एक्सपर्ट कमेटी में वन विभाग के मुखिया की अध्यक्षता में गठित कमेटी में उड़ीसा की चिलिका लेक डेवलपमेंट अथॉरिटी के पूर्व चेयरमैन डॉक्टर अजित पटनायक, बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के एनिमल बोटुलिस्म के साइंटिस्ट डॉक्टर पी सतिया सेल्वम, वन विभाग के पूर्व मुखिया आरएन मेहरोत्रा को विशेषज्ञ के तौर पर शामिल किया गया है। इसी के साथ प्रमुख डीसीएस जयपुर , एडीशनल डायरेक्टर इण्डस्ट्रीज डिपार्टमेंट, मेंबर सेकेट्री राजस्थान स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड और एडिशनल डायरेक्टर पशुपालन विभाग को सदस्य के तौर पर शामिल होंगे।
यह करेगी कमेटी कमेटी सांभर झील क्षेत्र का दौरा करने के बाद भी सभी पहलुओं पर विचार करेगी। जिसमें मुख्य तौर पर बीते साल की तरह हज़ारों पक्षियों की मौत ना हो इसके लिए क्या किया जा सकता है। झील में हुए अतिक्रमण को कैसे रोका जाए और वर्तमान अतिक्रमण कैसे हटाया जाए। झील में अवशिष्ट के तौर पर सोडियम सल्फेट और सीवरेज को डालने से कैसे रोका जाए। झील का विकास कैसे किया जा सकता है, इसके अलावा सभी आवश्यक बिंदुओं पर विचार करने के बाद कमेटी को रिपोर्ट तैयार करनी है सुझावों के साथ रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में चार सप्ताह में हाईकोर्ट को दी जानी है।
एक दूसरे को ठहराया जिम्मेदार राज्य सरकार और सांभर साल्ट लिमिटेड ने कोर्ट में अतिक्रमण की बात को माना है लेकिन इसके लिए दोनों ने एक दूसरे को जिम्मेदार ठहराने की कोशिश की है। इसी के साथ झील की जमीन लीज पर देने के लिए भी दोनों ने एक दूसरे को जिम्मेदार ठहराया है। सरकार ने कहा कि सांभर साल्ट लिमिटेड ने झील के बीच में जमीन एक प्राइवेट रिसोर्ट के लिए दी है जो बनकर तैयार हो गया है।
पत्रिका ने उठाया था मुद्दा सांभर झील में हजारों प्रवासी पक्षियों की मौत का मामला सबसे पहले पत्रिका ने उठाया था। इसके बाद कई ग्राउंड रिपोर्ट के जरिए बताया था कि झील में अतिक्रमण होने के साथ ही नमक निर्माता अपने जहरीले अवशेष और सीवरेट झील में डाल रहे हैं और यह भी बताया था कि एक बार फिर से झील पक्षियों के आने का समय हो गया है और सरकार अब तक निष्क्रीय है।