बीओटी व पीपीपी के नाम पर भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई), सार्वजनिक निर्माण विभाग व आरएसआरीडीसी की ओर से टोल का जाल लगातार फैलाया जा रहा है। ऐसा सुविधा देने के नाम पर किया जा रहा है। लोग वैकल्पिक मार्ग उपलब्ध कराने के अपने अधिकारों की दुहाई देते रहे हैं लेकिन सुनवाई नहीं हो रही। सरकार सिर्फ टोल कंपनियों की तिजोरी भरने में जुटी है। ऐसे में लोगों को शहर से बाहरी इलाके की तरफ कुछ दूर जाने के लिए भी टोल देना पड़ रहा है। हालात यह है कि 8 टोल प्लाजा ने शहर को चहुंओर से घेर रखा है। अजमेरी गेट से महज 24 किमी दूरी पर ही टोल है। घाट की गूणी टनल की दूरी तो बहुत कम है।
टोल रोड पर जहां टोल प्लाजा बनाए गए, वे स्थान आबादी क्षेत्र के पास हैं। इनमें से ज्यादातर तो जयपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) के परिधि क्षेत्र में स्थित ही हैं। इन टोल प्लाजा के काफी आगे तक आवासीय योजनाएं सृजित हो चुकी हैं। विवाह स्थल, रिसोर्ट, होटल आदि इनके आगे तक बनाए जा चुके हैं। इस कारण वहां तक पहुंचने के लिए भी लोगों को टोल चुकाना पड़ रहा है जबकि लोगों का हक है कि ऐसी स्थिति में उन्हें वैकल्पिक मार्ग उपलब्ध करवाया जाना चाहिए।