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जयपुर

इब्ने सीना और उज्बेकिस्तान को दर्शाने वाली एक किताब

इब्ने सीना में दुनिया भर के शोधकर्ताओं और विद्वानों की दिलचस्पी रही है। इब्ने सीना एक ऐसी शख्सियत रहे हैं जिनके शोधों ने गणित, भौतिकी, दर्शन, चिकित्सा, खगोल विज्ञान, भूगोल और भूविज्ञान को नई दिशा दी।

जयपुरSep 23, 2020 / 11:53 am

Chand Sheikh

इब्ने सीना और उज्बेकिस्तान को दर्शाने वाली एक किताब

इब्ने सीना और उज्बेकिस्तान को दर्शाने वाली एक किताब

इब्ने सीना में दुनिया भर के शोधकर्ताओं और विद्वानों की दिलचस्पी रही है। इब्ने सीना एक ऐसी शख्सियत रहे हैं जिनके शोधों ने गणित, भौतिकी, दर्शन, चिकित्सा, खगोल विज्ञान, भूगोल और भूविज्ञान को नई दिशा दी।
इब्ने सीना पर हाल ही अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अब्दुल लतीफ की पुस्तक आई है जो चर्चा में है। इनका पूरा नाम अबू अली इब्न सीना था। इनकी 1040 वीं जयंती के अवसर पर जारी उनकी पुस्तक ‘इब्ने सीना एंड उज्बेकिस्तान’ वैैज्ञानिक इब्ने सीना और उज्बेकिस्तान के कई पहलुओं पर रोशनी डालती है। इस इस पुस्तक में उन विषयों को प्रमुखता से शामिल किया गया है जिसे अधिकांश शोधकर्ताओं ने अतीत में अनदेखा किया है।
माना जाता है कि इब्ने सीना ने अपने जीवनकाल (980-1037 ई) के दौरान 450 से अधिक शोधों को लिखा था। इनमें से लगभग 240 ही सामने आ पाए हैं। इनमें दर्शनशास्त्र में 150 और चिकित्सा पर 40 शोध शामिल हैं। इब्ने सीना के ज्ञान के व्यापक दायरे को इस तथ्य से समझा जा सकता है कि उन्होंने गणित, भौतिकी, खगोल विज्ञान, कीमिया, मनोविज्ञान, भूगोल, भूविज्ञान आदि पर लिखा था।
कई देशों का दावा
इब्ने सीना 16 अगस्त 980 ईस्वी को अफशोना, बुखारा में पैदा हुए। यह इलाका उस वक्त समानीद साम्राज्य का हिस्सा था जिसमें वर्तमान के ईरान, अफगानिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, उजबेकिस्तान, किर्गिस्तान और कजाकिस्तान के कई इलाके शामिल थे। अफशोना अभी उज्बेकिस्तान में है। इब्न सीना 56 साल जीवित रहे और 18 जून 1037 में हमादान में उनकी मौत हो गई। हमादान अभी ईरान में है। यही वजह है कि केंद्रीय एशियाई देश और ईरान इब्ने सीना को अपनी-अपनी विरासत होने का दावा करते हैं।
यूरोपीय शोधकर्ताओं का संकलन
इस पुस्तक में इब्ने सीना के उन कामों को शामिल किया गया है जिनको अब तक शोधकर्ताओं ने उपेक्षित किया था। वे इस पुस्तक में इब्ने सीना के जन्मस्थान, स्थानीय संस्कृति और समुदाय का उनकी जिंदगी पर प्रभाव का उल्लेख करते हैं।
वे पुस्तक में कहते हैं कि अक्सर उज्बेकिस्तान के इतिहास को ईरान और रूस के साथ जोड़कर देखा जाता है जबकि उज्बेकिस्तान का खुद का अपना इतिहास रहा है। पुस्तक में उज्बेकिस्तान की ऐतिहाासिक धरोहरों को चित्रात्मक रूप में शामिल किया गया है।
पुस्तक में इब्ने सीना पर जिन बड़े विद्वानों खासकर यूरापीय विद्वानों ने शोध कर लिखा है, उनके शोध को प्रमुखता से शामिल किया गया है। उनकी स्मृति में कई संस्थानों की स्थापना की गई। पुस्तक में उज्बेकिस्तान के लोगों की संस्कृति, खान-पान, जीवन शैली, खूबसूरत इमारतें, मसजिद और मदरसा-स्कूल, विश्व धरोहर इमारतेंं आदि चित्रों सहित शामिल हैं।
यह पुस्तक उन लोगों के लिए बेहतरीन दस्तावेज है जो इब्ने सीना पर बहुत कुछ जानने में दिलचस्पी रखते हैं।

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