विश्वकप के 5 मुकाबलों में न्यूजीलैंड से हारी है इंग्लैंड टीम
दोनों के बीच कुल 9 मैच खेले गए हैं इंग्लैंड 4 जीता
London क्रिकेट का ‘मक्काÓ कहे जाने वाला ऐतिहासिक
Lord’s ground विश्व क्रिकेट को एक नया चैंपियन देने के लिए तैयार है। यह नया चैंपियन मेजबान इंग्लैंड और न्यूजीलैंड में से कोई एक हो सकता है, जिन्हें रविवार को यहां एक-दूसरे के खिलाफ आईसीसी विश्व कप-2019 का फाइनल खेलना है। इंग्लैंड की टीम 27 साल बाद फाइनल में पहुंची है। उसका यह चौथा फाइनल है। वह इससे पहले तीन बार फाइनल खेल चुकी है, लेकिन एक बार भी खिताब नहीं जीत पाई है। इस बार हालांकि उसे मेजबान होने के नाते खिताब का सबसे बड़ा दावेदार माना जा रहा है। इंग्लैंड ने मौजूदा चैंपियन ऑस्ट्रेलिया को आठ विकेट से करारी मात देकर फाइनल में कदम रखा है। वहीं, किस्मत के सहारे सेमीफाइनल में पहुंची न्यूजीलैंड की टीम ने खिताब की दावेदार माने जाने वाली भारत को रोमांचक मुकाबले में 18 रनों से हराकर दूसरी बार फाइनल में अपना स्थान पक्का किया है। कीवी टीम को 2015 के फाइनल में ऑस्ट्रेलिया के हाथों हार का सामना करना पड़ा था।
मेजबान रहते चैंपियन बनने का मौका
एक रोचक तथ्य यह भी है कि इंग्लैंड के पास तीसरी ऐसी टीम बनने का मौका भी है, जो मेजबान रहते विश्व विजेता बने। भारत ने 2011 में अपने घर में विश्वकप जीता था तब वह अपनी मेजबानी में विश्वकप जीतने वाली पहली टीम बनी थी। ऑस्ट्रेलिया ने 2015 में इसे दोहराया था। वहीं, विश्व क्रिकेट में 23 साल बाद ऐसा होगा जब विश्वकप कोई ऐसी टीम नहीं जीतेगी, जो पहले जीत चुकी है। 1996 में श्रीलंका ने पहली बार विश्वकप जीता था। तब से लेकर 2015 तक कोई नया विश्व विजेता नहीं बना और वही टीमें विश्व कप जीतती आईं, जो पहले जीत चुकी थीं, लेकिन इस बार इतिहास बदलेगा।
दोनों टीमों का मजबूत और कमजोर पक्ष
इंग्लैंड : मजबूती
घरेलू परिस्थिति का फायदा, लॉड्र्स में खेलने का अनुभव
ओपनिंग जोड़ी की सफलता, मध्यक्रम के बल्लेबाज भी फॉर्म में
गेंदबाजी में जोफ्रा, बेन स्टोक्स, सैम कर्रन और क्रिस वोक्स विपक्षी बल्लेबाजी पर भारी
कमजोरी
लॉड्र्स में न्यूजीलैंड के खिलाफ खेलने का कम अनुभव, खराब रिकॉर्ड
ओपनिंग जोड़ी के बूते पर ही मध्यक्रम फॉर्म में
कीवी टीम के अटैक के बारे में कम जानकारी
घरलू मैदान पर जीत का दबाव और तीन बार उपविजेता का ठप्पा
न्यूजीलैंड : मजबूती
सेमीफाइनल में भारत जैसी टीम को हराकर फाइनल में आने से ऊंचा मनोबल
२०१५ विश्वकप फाइनल में हार से सबक
गेंदबाजों की शानदार परफॉर्मेंस
शानदार फील्डिंग से रन बचाना
कमजोरी
ओपनिंग जोड़ी का फॉर्म में नहीं होना
इंग्लैंड को उसके घरेलू मैदान पर हराने का दबाव
लॉड्र्स में खेलने का कम अनुभव
एकमात्र स्पिनर सेंटनर के भरोसे टीम, ईश सोढी का मौका मिलना मुश्किल