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जयपुर

आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल ने अपने क्रेडिट फण्ड में 334 करोड़ का निवेश किया

मुंबई। देश की अग्रणी म्यूचुअल फण्ड कंपनी आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल असेट मैनेजमेंट कंपनी ने अपने क्रेडिट रिस्क फण्ड में 334 करोड़ रुपए का निवेश किया है। कंपनी ने अपने नेटवर्थ में से 256 करोड़ रुपए दिसम्बर में और 78 करोड़ रुपए अक्टूबर महीने में निवेश किए। इसका कुल नेटवर्थ सितम्बर 2019 तक 1२62 करोड़ रुपए रहा है। वैल्यू रिसर्च ने आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल के क्रेडिट रिस्क फण्ड को दिसंबर में 5 स्टार की रेटिंग दी थी।

जयपुरJan 16, 2020 / 03:06 pm

Narendra Singh Solanki

आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल ने अपने क्रेडिट फण्ड में 334 करोड़ का निवेश किया

आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल ने अपने क्रेडिट फण्ड में 334 करोड़ का निवेश किया

आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्यूचुअल फण्ड के एमडी एवं सीईओ निमेश शाह निवेशकों को यह सलाह देते हैं कि वे असेट अलोकेशन कैटेगरी का पालन करें, जो उनके जोखिम पर आधारित हो और इसमें डेट और क्रेडिट रिस्क फण्ड हों। वैल्यू रिसर्च ने आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल के क्रेडिट रिस्क फण्ड को दिसम्बर में 5 स्टार की रेटिंग दी थी।
निमेश शाह कहते हैं कि आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल के रूप में हमने रिस्क मैनेजमेंट प्रैक्टिस और निवेश प्रक्रिया में ढेर सारे मूल्यों और विश्वासों को स्थापित किया है, जिसका हम उपयोग करते हैं। मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं कि हम वही खाते हैं जो हम खुद बनाते हैं और साथ ही साथ निवेशकों के लिए निवेश भी करते हैं। यही नीति अपनाते हुए कंपनी ने खुद के फण्ड में निवेश किया है। एनबीएफसी में ढेर सारे संकटों और डिफॉल्ट के बावजूद आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल की एक भी स्कीम पिछले 20 सालों में डिफॉल्ट नहीं की है। अर्थलाभ डॉटकॉम के आंकड़ों के अनुसार इस फण्ड ने पिछले 6 महीनों में 10.14 फीसदी, जबकि एक साल में 9.49 फीसदी का रिटर्न दिया है इसी अवधि में इसके प्रतिस्पर्धी फण्डों ने औसतन 4.79 फीसदी तथा 4.83 फीसदी का रिटर्न दिया है।
क्रेडिट रिस्क फण्ड डेट की वह कैटेगरी होती है, जो पोर्टफोलियो का कम से कम 65 फीसदी हिस्सा एए से कम रेटिंग वाले पेपरों में निवेश करती है। सेबी की परिभाषा के अनुसार क्रेडिट रिस्क फण्ड एक ओपेन एंडेड डेट स्कीम होती है, जो कम रेटिंग वाले कॉर्पोरेट बांड्स में निवेश करती है। इसका मतलब यह कि स्कीम ज्यादा जोखिम लेकर अच्छा ब्याज दे सकती है। कम रेटिंग वाले पेपर इसलिए ज्यादा रिटर्न देते है, क्योंकि उनकी रेटिंग बढ़ती भी है। हालांकि यह भी जोखिम होता है कि वे पेपर डाउनग्रेड या डिफॉल्ट भी हो जाएं, जैसा कि हाल में देखा गया है।
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