डम्पर छूटने के बाद महेन्द्र ने पुलिस से साठगांठ का प्रयास शुरू किया। इसके लिए उसे किसी ने भांकरोटा थाने के एक कांस्टेबल का नाम सुझाया। कांस्टेबल ने महेन्द्र को दूदू सीओ विजय सेहरा से जयपुर के एक अस्पताल में मिलवाया। वहां सीओ ने इसके लिए राजेन्द्र चौधरी से मिलने के लिए कह दिया। राजेन्द्र दूदू क्षेत्र में होटल चलाता है। राजेन्द्र ने महेन्द्र को होटल पर बुलाया और डम्पर के हर फेरे के तीन हजार रुपए मांगे। कहा कि जो डम्पर जाएगा, उसकी पहले ही जानकारी वॉट्सएप पर दे देना, फिर पुलिस नहीं पकड़ेगी।
दलाल से बात होने पर छह अप्रेल से महेन्द्र ने डम्पर चलाने शुरू कर दिए। उसने खुद के साथ औरों के डम्पर भी पास कराए। यह सिलसिला 26 मई तक चला। पड़ताल में हिसाब की डायरी मिली है, जिसमें करीब ग्यारह लाख रुपए का लेन-देन दर्ज है। पुलिस अब फरार राजेन्द्र को तलाश रही है। उससे पूछताछ के बाद सीओ विजय सेहरा से पूछताछ हो सकती है। पुलिस ने महेन्द्र को मंगलवार को अदातल में पेश कर यही कहा कि उच्चाधिकारी की भूमिका की पड़ताल के लिए रिमांड चाहिए। उधर, एडीजी (सतर्कता) बीजू जॉर्ज जोसफ ने अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक शालिनी राज को विभागीय जांच सौंपी है। शालिनी ने दूदू थाने पहुंच कर पुलिस जांच की जानकारी ली।
पुलिस ने 27 मई को डम्पर चालक बजरंग को गिरफ्तार किया था। उससे सीओ के नाम पर रामेश्वर नामक व्यक्ति बंधी लेता था। बजरंग ने पूछताछ में ही महेन्द्र का नाम बताया था। उसके बाद एसपी शंकरदत्त शर्मा ने सीओ विजय सेहरा के साथ फागी थानाधिकारी हरिमोहन व माधोराजपुरा चौकी प्रभारी को फील्ड से हटाकर अपने कार्यालय में हाजिरी देने के आदेश दिए थे।