सरकारी काला कंबल और फर्श :
जेल अफसरों ने बताया कि जेल में हर नई आमद की तरह ही अग्रवाल को भी इसी प्रक्रिया से गुजरना होगा। हर बंदी को पहले पांच नंबर सेल में पांच दिन के लिए क्वॉरंटीन किया जाता है और उसके बाद पांच से सात दिन के लिए आठ नंबर सेल में भेजा जाता है। वहां पर भी क्वॉरंटीन चरण पूरा करने के बाद सेल नंबर 13 में भेजा जाता है। वहां पर कई बंदी हैं। जेल अफसरों ने बताया कि जेल में दरअसल बंदियों की दो कैटेगिरी रहती है, पहली कैटेगिरी में गंभीर अपराध करने वाले अपराधी और दूसरी में सरकारी कार्मिक या अन्य छोटे अपराध करने वाले अपराधियों को रखा जाता है। अग्रवाल को कैटेगिरी दो में रखा जा सकता है। उनको फिलहाल इसी प्रक्रिया को फॉलो करना होगा।
जहां अपराधी भेजे अब उनके बीच ही रहना होगा :
जेल अफसरों ने बताया कि जयपुर सेंट्रल जेल दौसा समेत आसपास के कई जिलों की मुख्य जेल है। इन जिलों में पकड़े गए खूंखार अपराधियों को सेंट्रल जेल में रखने के लिए जयपुर भेजा जाता है। दौसा एसपी रहते हुए अग्रवाल ने भी ऐसे कई खूंखार बदमाश पकड़े थे। वे अब जयपुर सेंट्रल जेल में बंद हैं। इन बंदियों के बीच एक ही परिसर में अग्रवाल को भी रखा जाएगा। लेकिन उनकी सुरक्षा को लेकर जेल अफसर पहले ही पाबंद कर दिए गए हैं।
अब केवल ई-मुलाकात होगी :
दौसा में एसपी रहते हुए एसपी अग्रवाल ना तो फरियादियों से मिलते और न ही ज्यादातर पुलिस अफसरों से ही बातचीत करते थे। उनसे मिलने आने वाले अधिकतर थानेदारों और परिवादियों को वे नीरज मीणा से मिलने के लिए ही कहते थे। लेकिन अब जब वे कानून के चंगुल में आ गए और जेल भेजे जाने हैं तो ऐसे में अब पूरा घटनाक्रम उल्टा चल सकता है। जेल अफसरों ने बताया कि जेल में मुलाकात का सिस्टम अभी बंद है। बंदियों को ई मुलाकात के जरिए ही परिवार के सदस्यों से बातचीत कराई जाती है। स्पेशल आदेशों को छोड़कर सभी बंदियों को इसे ही फॉलो करना होता है। फिर चाहे वे किसी भी पद पर क्यों नहीं हों।