वहीं करीब सवा सौ करोड़ रुपए का ऋण बाजार में देकर ब्याज के रूप में बड़ा मुनाफा कमाने की बात सामने आई है। प्रत्येक आइटम पर उल्लेखित अल्फा-न्यूमेरिक सीक्रेट कोड में वास्तविक बिक्री मूल्य लिखा था। टीम कोड को फ्रैक करने पर काम कर रही है। गुफा से दो हार्ड-डिस्क और पेन-ड्राइव भी मिलीं, जिनमें कोडित रूप में विभिन्न वस्तुओं का विवरण था। जौहरी समूह ने विभिन्न व्यक्तियों को बेहिसाब नकद ऋण दिया था। उसी पर बेहिसाब ब्याज भी कमाया है। समूह ने अपने कर्मचारियों और कारीगरों के बैंक खातों के माध्यम से इसे बेहिसाब नकद आय भी पेश की थी।
इसी तरह एक प्रमुख बिल्डर और कॉलोनाइजर पर आयकर पड़ताल में बेहिसाब रसीदें, अघोषित संपत्तियों की डिटेल, नकद ऋण और एडवांस के अलावा लेनदेन का रिकार्ड जब्त किया गया। इस समूह की कुल बेहिसाब लेनदेन 650 करोड़ रुपए विभाग ने आंका है।
तीसरा समूह में जयपुर का एक बिल्डर और डवलपर है जो फार्म हाउस, टाउनशिप और आवासीय एन्क्लेव डवपलमेंट में लगा है। सर्च ऑपरेशन से पता चला है कि इस समूह ने एयरपोर्ट प्लाजा में एक रियल-एस्टेट परियोजना को संभाला था। केवल खाते की पुस्तकों में 1 लाख दर्शाया था, जबकि परियोजना से संबंधित बैलेंस शीट में 133 करोड़ रुपए के लेनदेन का पता चला। इस प्रकार अब तक 25 करोड़ रुपए के कुल बेहिसाब लेनदेन का पता चला है।