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जयपुर

Durgaji Ki Aarti दुर्गाजी की सबसे सरल आरती में अक्सर करते हैं गल्तियां, जानिए स्कंद पुराण में इसके बारे में क्या लिखा है

देशभर में दुर्गाजी की सबसे प्रचलित आरती है: जय अम्बे गौरी, मइया जय श्यामा गौरी…यह आरती बहुत सरल है इसलिए लोकप्रिय भी है. आरती गाते समय प्राय: उच्चारण में कई गल्तियां होती हैं जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए.

जयपुरOct 19, 2020 / 11:28 am

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Jai Ambe Gauri Aarti in Hindi Navratri Aarti in Hindi

Jai Ambe Gauri Aarti in Hindi Navratri Aarti in Hindi

जयपुर. नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा के बाद आरती का विशेष महत्व है. आरती किए बिना पूजा पूर्ण नहीं मानी जाती, इसलिए दुर्गाजी की आरती अवश्य करना चाहिए.

ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश परसाई के अनुसार उत्तर स्कंद पुराण में पूजा में आरती का महत्व रेखांकित किया गया है. इस ग्रंथ में साफतौर पर लिखा है कि भक्त अगर पूजा की विधि नहीं जानता, कोई मंत्र नहीं जानता, लेकिन देवी-देवता की आरती करता है तो उसकी पूजा पूर्ण हो जाती है. वैसे भी मां दुर्गा की उपासना में ज्योति का सबसे ज्यादा महत्व है. ज्योतिषाचार्य पंडित नरेंद्र नागर बताते हैं कि घी के दीपक से आरती करने पर उनकी कृपा प्राप्त होती ही है. आरती की थाली में दीपक के साथ फूल, धूप-अक्षत और कपूर भी अवश्य रखना चाहिए.
देशभर में दुर्गाजी की सबसे प्रचलित आरती है: जय अम्बे गौरी, मइया जय श्यामा गौरी…यह आरती बहुत सरल है इसलिए लोकप्रिय भी है. आरती गाते समय प्राय: उच्चारण में कई गल्तियां होती हैं जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए. इसलिए हम आपके लिए यह आरती लेकर आए हैं—
जय अम्बे गौरी, मइया जय श्यामा गौरी
तुमको निशदिन ध्यावत, मइयाजी को निशदिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिवजी,
ओम जय अम्बे गौरी …

मांग सिंदूर बिराजत, टीको मृगमदको, मइया टीको मृगमदको
उज्जवल से दोउ नैना, चन्द्र बदन नीको,
ओम जय अम्बे गौरी…
कनक समन कलेवर, रक्ताम्बर राजे, मइया रक्ताम्बर राजे,
रक्त पुष्प गलमाला, कंठन पर साजे,
ओम जय अम्बे गौरी…

केहरि वाहन राजत, खड्ग खपर धारी, मइया खड्ग खपर धारी
सुर नर मुनि जन सेवत, तिनके दुख हारी,
ओम जय अम्बे गौरी…
कानन कुंडल शोभित, नासाग्रे मोती, मइया नासाग्रे मोती
कोटिक चंद्रा दिवाकर, सम राजत ज्योति,
ओम जय अम्बे गौरी …

शुम्भ- निशुम्भ विदारे, महिषासुर घाती, मइया महिषासुर घाती
धूम्र-विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती
ओम जय अम्बे गौरी …

चंड—मुंड संहारे, शोणित बीज हरे, मइया शोणित बीज हरे
मधु—कैटभ दोउ मारे, सुर भय हीन करे,
ओम जय अम्बे गौरी …
ब्रह्माणी, रुद्राणी तुम कमला रानी, मैया तुम कमला रानी
आगम—निगम बखानी, तुम शिव पटरानी,
ओम जय अम्बे गौरी …

चौंसठ योगिनी गावत, नृत्य करत भैरों, मइया नृत्य करत भैरों
बाजत ताल मृदंगा, और बाजत डमरू,
ओम जय अम्बे गौरी …
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भर्ता, मइया तुम ही हो भर्ता
भक्तन के दुःख हरता, सुख सम्पति कर्ता,
ओम जय अम्बे गौरी …

भुजा चार अति शोभित, वर मुद्रा धारी, मइया वर मुद्रा धारी
मनवांछित फल पावत, सेवक नर नारी,
ओम जय अम्बे गौरी …
कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती, मइया अगर कपूर बाती
श्री मालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति,
ओम जय अम्बे गौरी …

मां अम्बेजी की आरती जो कोई नर गावे, मइया जो कोई नर गावे
कहत शिवानंद स्वामी, जपत हरानंद स्वामी, सुख—संपत्ति पावे
ओम जय अम्बे गौरी …
जय अम्बे गौरी, मइया जय श्यामा गौरी
तुमको निशदिन ध्यावत, मइयाजी को निशदिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिवजी,
ओम जय अम्बे गौरी …

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