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Jaipur Accident: एक ही चिता पर दो जवान पुत्रों की अंत्येष्टि, पिता ने दी शवों को मुखाग्नि

Jaipur Accident: हर पिता की आरजू होती है कि मृत्यु के बाद बेटा उसके पार्थिव शरीर को कंधे पर श्मशान लेकर जाए। उसकी चिता को अग्नि दे, लेकिन बुधवार को जेल प्रहरी राजकुमार शर्मा दोनों बेटों की अर्थी को कंधा दे रहे थे।

जयपुरJul 18, 2019 / 08:36 am

santosh

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जयपुर। jaipur accident : हर पिता की आरजू होती है कि मृत्यु के बाद बेटा उसके पार्थिव शरीर को कंधे पर श्मशान लेकर जाए। उसकी चिता को अग्नि दे, लेकिन बुधवार को जेल प्रहरी राजकुमार शर्मा एक दिन पहले हुए जेडीए सर्किल पर सड़क हादसे में जान गंवाने वाले दोनों बेटों की अर्थी को कंधा दे रहे थे। बेटे पुनीत और विवेक को श्मशान में मुखाग्नि भी उन्होंने ही दी।

 

इससे पहले सुबह जब मां अनीता और बेटों की पत्नियों को हादसे के बारे में पता चला तो घर में कोहराम मच गया। आसपास की कॉलोनियां समेत भारी संख्या में लोग घर पहुंचे। अंत्येष्टि में भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अशोक परनामी भी पहुंचे और मृतकों के पिता राजकुमार पाराशर को ढांढ़स बंधाया। पुनीत की पत्नी टीचर है और उसका एक 4 वर्ष का पुत्र है जबकि विवेक की शादी छह माह पहले ही फरवरी में हुई थी।

 

उल्लेखनीय है कि जेडीए सर्किल पर मंगलवार शाम चार बजे एक कार ने रेड लाइट होने पर खड़े वाहनों को पीछे से जबरदस्त टक्कर मारी ( Jaipur accident Video ) थी। इस हादसे में बाइक सवार दो भाइयों पुनीत और विवेक पाराशर की मौत हो गई थी। वहीं, हादसे में घायल अन्य लोगों का अभी भी अस्पताल में इलाज चल रहा है।

 

हादसे के वक्त कार की टक्कर से उछलकर करीब 70 फीट दूर जा गिरे पुनीत और विवेक की पसलियां टूटकर फेफडों में धंस गई। इससे शरीर में खून भर गया था और उनकी मौके पर मौत हो गई थी। पिता राजकुमार को बार-बार रिश्तेदार ढांढ़स बंधा रहे थे। वे बोल रहे थे कि उनकी आंखों के तारे छोड़ गए। रिश्तेदार बोले, हमेशा राजकुमार हंसते रहते थे, लेकिन हादसे के बाद से उनकी आंखों से आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे। कुछ बोल भी नहीं रहे।

 

लोगों ने बताया कि पुनीत और विवेक काफी हसमुंख स्वभाव के थे। कॉलोनी में दूसरों की मदद के लिए वह हमेशा तैयार रहते थे। दोनों भाई भगवान शिव के बड़े भक्त थे। हर रोज सुबह चार बजे उठ जाते और कॉलोनी में बने मंदिर में पूजा करने जाते थे। पड़ोसियों ने बताया कि पुनीत, विवेक अक्सर अलग-अलग बाइक से जयपुर जाते थे। विवेक कई बार पिता राजकुमार के साथ आता था, लेकिन यह संयोग ही था कि मंगलवार को पुनीत और विवेक एक ही बाइक से लौट रहे थे।

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