केस 1: सरकार की अनदेखी, छोड़ी लीज होटल ऑनर दीपेंद्र लुनिवाल ने बताया कि आमेर क्षेत्र में एक होटल नवंबर में ही लीज पर ली थी। मार्च में लॉकडाउन लगा तो जल्द स्थितियां ठीक होने की उम्मीद थी। लेकिन संक्रमण बढ़ते और सरकार के बजट होटल्स ( hotel jaipur ) के प्रति अनदेखी देखकर लीज छोड़नी पड़ी। अब कालवाड़ रोड पर द पॉम होटल ही संचालित कर रहे है। सरकार से उम्मीद है कि बिजली बिल, लाइसेंस फीस माफ करें। तभी हम वापस खड़े हो सकेंगे।
केस 2: ऑनर रिबेट दे तो चले काम
ट्रेन चालू नहीं है। टूरिस्ट डर से नहीं आ रहे। कॉर्पोरेट वर्ग होटल्स में स्टे नहीं करना चाहते। होटल ऑनर किसी भी कंडीशन में लीज राशि में रिबेट नहीं देना चाहते। स्टाफ को नौकरी से निकाल नहीं सकते। इन सबके बावजूद होटल्स में खर्चे का मीटर लगातार चालू है। यह कहना है होटल अभिराज पैलेस के संचालक अमन खान का। हमनें आठ जून से होटल खोले, लेकिन सरकार से कुछ सहारा नहीं मिला। अब ऑनर छूट दे तो राहत मिले।
20 प्रतिशत तक होटल्स लीज पर एक अनुमान के अनुसार, जयपुर में 800 से 900 बजट होटल्स है। इनमें से 20 प्रतिशत तक लीज पर ही संचालित है। एक बजट होटल्स प्रति माह 2 से 5 लाख रुपए या अधिक में लीज पर ले जाती है। ऐसे में लीज छोड़ने के बाद होटल ऑनर भी संचालित करने में डरे हुए से है। जयपुर में तो रोजाना एक—दो होटल्स का शेटर डाउन हो रहा है।
लीज के लिए नहीं मिल रहे संचालक स्थितियां ऐसी है कि होटल ऑनर होटल कम राशि में भी लीज पर देना चाहते है। बावजूद कोई लेने को तैयार ही नहीं। हमारे सामने मुसीबत है कि दूसरे राज्यों से आए स्टाफ को नौकरी से निकाल नहीं सकते। उनका भी परिवार है। वे किराये के कमरों में रहते है, लेकिन कब तक भार उठाए।— हुसैन खान, उपाध्यक्ष, होटल एसोसिएशन ऑफ जयपुर