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जयपुर

लुटियंस ने बनाई थी विकास की योजना, मुम्बई से आए कर्नल सीयू प्राईस ने दिया था योजना को अंजाम

राज्यपाल, मुख्यमंत्री और मंत्रियों के निवास सिविल लाइंस के बंगलों की नींव एक मार्च 1821 को अंग्रेज रेजिडेंट जे स्टीवर्ड ने रखी थी। दरअसल सिविल लाइंस का असली विकास सन् 1931 में विख्यात योजनाकार लुटियंस की सलाह पर हुआ…

जयपुरFeb 21, 2020 / 02:09 pm

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जितेन्द्र सिंह शेखावत
जयपुर। राज्यपाल, मुख्यमंत्री और मंत्रियों के निवास सिविल लाइंस के बंगलों की नींव एक मार्च 1821 को अंग्रेज रेजिडेंट जे स्टीवर्ड ने रखी थी। दरअसल सिविल लाइंस का असली विकास सन् 1931 में विख्यात योजनाकार लुटियंस की सलाह पर हुआ। लुटियंस के सहायक प्रो.स्टीफ सन ने यूरोपियन शैली के बंगलों में हवा रोशनी के लिए आगे-पीछे बरामदे,बाग-बगीचे लगवाए। इसके अलावा घुड़साल, बागवान आदि सेवकों के आवास और कुएं भी बनवाए। वर्तमान रेजीडेंसी स्कूल रथखाना रहा। गर्मी में ठंडे और सर्दी में गर्म रखने के लिहाज से ऊंची छतों के बंगलों में जालीदार दरवाजे लगे। मुम्बई से आए कर्नल सीयू प्राईस ने योजना को अंजाम दिया।
जयसिंह तृतीय के समय में अंग्रेज संधि के बाद आए रेजिडेंट जे स्टीवर्ड का निवास वर्तमान राजमहल पैलेस बना। इस वजह से माजी का बाग इलाके का नाम रेजिडेंसी पड़ा। अंग्रेज हाकिमों के लिए बंगले बनने की योजना सन् 1821 में बनी लेकिन वर्तमान में राज्यपाल व मुख्यमंत्री को मिलने वाले बंगले सन् 1868 में बने। सवाई रामसिंह ने सिविल लाइंस में रोशनी के लिए इंग्लैण्ड से गैस लैम्प पोस्ट मंगवाकर लगवाए। इन पर एसआरएस यानी सवाई रामसिंह व क्राउन का मोनोग्राम था।
प्रधानमंत्री मिर्जा इस्माइल ने सुरक्षा के लिहाज से सिविल लाइंस में बहुमंजिला मकान निर्माण पर रोक का नियम बनाया। राजमहल पैलेस का निर्माण जयसिंह द्वितीय ने अपनी महारानी व उदयपुर की राजकुमारी चन्द्र कंवर सिसोदनीजी के लिए करवाया था। इसलिए इलाके का नाम माजी का बाग पड़ा। इन बंगलों में सबसे पहले अंग्रेज हैबर तीन यूरोपियन परिवारों के साथ आया। सन 1835 में लेफ्टिनेंट बायलू और सर्जन मोटाले रहे। सन् 1840 में मेजर लुडलो ने पेड़ लगवाए। रामसिंह द्वितीय के समय अंग्रेज कैप्टन ब्लैक की किशनपोल में आम जनता ने पीट-पीट कर सरे आम हत्या कर दी तब सिविल लाइंस बरसों तक पुलिस छावनी बना रहा।
गृहमंत्री हरीसिंह अचरोल आदि सामंतों को भूमि दी गई। अजमेर पुलिया के नीचे मैसूर महारानी का निवास होने से चौराहे का नाम कृष्णा वाडियार सर्कल रखा गया। लुहारू के नवाब साहब का बंगला भी बना। सियाशरण लश्करी के मुताबिक लुटियंस की सलाह पर अंग्रेजों ने नवीन राजधानी को दिल्ली के जयसिंहपुरा में बसाया । लुटियंस की सलाह पर दिल्ली में जयपुर की जमीन पर रायसीना हिल, संसद, राष्ट्रपति भवन बने। सिविल लाइंस और चौड़ा रास्ता में न्यू गेट बनाने के लिए सर लुटियंस दो बार जयपुर आए और वे अजमेर पुलिया के नीचे न्यू होटल में ठहरे थे। जयपुर की पुरानी सिविल लाइंस चौकड़ी गंगापोल इलाके में थी।

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