सात कदमों में ट्रेनिंग, जन जागरूकता, क्वारंटीन, स्क्रीनिंग, सुरक्षित लॉजिस्टिक व्यवस्था, नमूना संग्रहण और कोरोना नियंत्रण क्षेत्र बनाना शामिल हैं। कोटा मेडिकल कॉलेज के नियंत्रक डॉ. विजय सरदाना ने बताया कि सिर्फ शहर नहीं, बल्कि कोटा संभाग में रिकवरी रेट 94 प्रतिशत तो जिले में 92 प्रतिशत तक आ गई है।
कोरोना पॉजिटिव रोगियों के उपचार के लिए शहर में दो कोविड समर्पित अस्पताल बनाए गए। मेडिकल कॉलेज के नवीन चिकित्सालय और सुपर स्पेशिएलिटी ब्लॉक को मिलाकर 754 बेड का अस्पताल बनाया। इसमें 108 आईसीयू बेड हैं। मंडल रेल चिकित्सालय को भी कोविड समर्पित अस्पताल बनाया गया। इनमें 104 बेड हैं। कोरोना संदिग्धों को क्वारंटीन करने के लिए निजी विश्वविद्यालय के भवन में 500 लोगों की सुविधा विकसित की।
उच्च जोखिम और कमजोर तबके के लिए इंस्टीट्यूशनल क्वारंटीन पर जोर दिया जा रहा है। मृत्यु दर को कम करने के उद्देश्य से कमजोर वर्ग में 60 वर्ष से अधिक आयु वाले, हृदय या गुर्दे की बीमारी, उच्च रक्तचाप, मधुमेह या कमजोर प्रतिरक्षा वाले संदिग्ध रोगियों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। ऐसे व्यक्तियों को उनके कंटेनमेंट क्षेत्र से बाहर इंस्टीट्यूशनल क्वारंटीन की सुविधा प्रदान की गई है।
– जिले में मेडिकल टीम के साथ प्रशासनिक अमले ने कोरोना नियंत्रण के लिए प्रयास किए। लोगों को बचाव उपाय अपनाने के लिए प्रेरित किया। कोविड अस्पताल में सुविधाएं बढ़ाईं। जागरूकता से कोरोना नियंत्रण की ओर बढ़ रहे हैं।
ओम कसेरा, जिला कलक्टर
– शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में क्वारंटीन व्यवस्था का बेहतर तरीके से पालन हआ। मेडिकल टीमों ने ऐसे सभी क्षेत्रों में जाकर कोविड के नमूने लिए जहां संक्रमित लोग सामने आए। नियंत्रण के लिए सात कदम उपयोगी रहे।
डॉ. भूपेन्द्र तंवर, सीएमएचओ
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