जेएलएफ में संवाद में आयोजित ‘द हिटमैन’ सेशन में आए अनुराग ने वानी त्रिपाठी के सवाल का जवाब देते हुए राजपूत कम्यूनिटी और राजपूत प्राइड के बारे में विचार रखते हुए कहा कि उस समय उन लोगों को देखकर मुझे लगा कि ना तो वे पूरी तरह पुराने ख्याल के है और ना ही मॉडर्न विचारधारा के साथ बह रहे है। उनमें से कई अपने पास्ट में इस तरह से जी रहे थे कि वे भविष्य की ओर बढ़ नहीं पा रहे थे और ना ही कोई प्रोग्रेस कर रहे थे। मैं कुछ एेसे लोगों से मिला, जो अपनी जिन्दगी में कुछ अलग करना चाहते थे, जैसे कि
फैशन इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाना चाहते थे।
यहां तक की मैं एक रॉयल फैमिली के एक एेसे मेम्बर से मिला, जो अपनी सेक्सुअलटी और ऑरिएंटेशन से झूझ रहा था। लेकिन इस बारे में वो किसी को बता नहीं पा रहा था। उन्होंने कहा कि एेसा क्यूं होता है कि जब कोई ‘बन्ना’ कुछ अलग सोचता है या किसी कन्फ्यूजन में है, तब वह अपने समाज के गर्व और सरनेम के चलते अपनी बात कह नहीं पाता। एेसी स्थिति में ना तो वो बन्ना रह जाते और ना ही जैसे थे, वैसे अपने आप को अपना पा रहे थे।
अजीब से बीच में फंसे हुए थे। इसी दौरान मुझे गुलाल बनाने की प्रेरणा मिली। अपने राजपूत होने की बात बताते हुए उन्होंने कहा कि ‘मैं भी राजपूत हूं, लेकिन इमरजैंसी के दौरान समय की नजाकत को देखते हुए पिता ने नाम के आगे से सिंह हटा दिया।