अध्यक्ष जस्टिस प्रकाश टाटिया ने राज्य सरकार को आदेश दिया कि वह सरोज की मृत्यु के बाद हेमंत मोहनपुरिया द्वारा सरोज की अप्राकृतिक मृत्यु के संबंध में अभियोग दर्ज नहीं कराया जाता तो शायद न्याय की हत्या हो जाती। हेमंत को राज्य सरकार हर्जाने के रूप में एक लाख रुपए का भुगतान एक माह के भीतर करे।
बुधवार को आयोग में दर्ज प्रकरण का निस्तारण करते हुए यह आदेश दिया। उन्होंने आदेश में डीजीपी राजस्थान को कांस्टेबल सरोज प्रकरण से जुड़े तत्कालीन पुलिस अधिकारी या पुलिसकर्मियों की भूमिका की जांच कर सख्त विभागीय कार्रवाई करने के निर्देश भी दिए हैं। उन्होंने दोषी पुलिसर्किमयों के खिलाफ जरूरत होने पर आपराधिक प्रकरण दर्ज करने के भी आदेश दिए हैं।
यह था मामला
कांस्टेबल सरोज की बचपन में शादी हो गई थी। उसका गौना भी नहीं हुआ था। बाद में उसका चयन कांस्टेबल पर पर हो गया और बचपन में जिससे शादी हुई थी, वह लड़का पढ़ा लिखा नहीं था। इसके चलते सरोज के हेमंत से प्रेम संबंध थे। सरोज के परिजन जबरन उसे बचपन में शादी होने वाले लड़के के साथ रखना चाहते थे। इस मामले को लेकर सरोज ने कई अधिकारियों के यहां गुहार लगाई थी। बाद में उसके परिजन जबरन उसे अपने साथ ले गए थे और फिर वह घर पर फंदे से लटकी मिली। परिजनों ने आत्महत्या करना बताया था। जबकि हेमंत ने हत्या करने की आशंका जताई थी। बाद में पुलिस ने आत्महत्या के लिए दुष्प्रेरित करने का मामला दर्ज कर चालान पेश किया था। सरोज का भाई भी पुलिस में हेड कांस्टेबल है।