नई कोर्ट खुलने के साथ ही उनके लिए भवन की समस्या खड़ी हो गई है। सरकार ने अभी तक नई कोर्ट के लिए भवन उपलब्ध नहीं कराया है। ऐसे में इन 62 नई कोर्ट में स्थायी न्यायाधीश नियुक्त होने पर अदालत चलाने के लिए जगह की समस्या आएगी, क्योंकि अभी तो अतिरिक्त चार्ज दिया गया और जिन न्यायाधीशों को चार्ज दिया गया है उनके पास पहले से भवन उपलब्ध है।
सरकार ने वर्ष 2012 में एक विशेष कानून बनाया था, जो बच्चों को छेडख़ानी, दुष्कर्म व कुकर्म जैसे मामलों से सुरक्षा प्रदान करता है। पोक्सो शब्द अंग्रेजी से आता है। इसका पूर्णकालिक मतलब होता है ‘प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्राम सेक्सुअल अफेंसेस एक्ट 2012’ यानी लैंगिक उत्पीडऩ से बच्चों के संरक्षण का अधिनियम 2012. इस कोर्ट के दायरे में नाबालिग बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराध और छेड़छाड़ के मामलों में कार्रवाई की जाती है। यह कोर्ट बच्चों को सेक्सुअल हैरेसमेंट, सेक्सुअल असॉल्ट और पोर्नोग्राफी जैसे गंभीर अपराधों से सुरक्षा प्रदान करता है। यह कोर्ट नाबालिक बालक और बालिकाओं दोनों के लैंिगंक उत्पीड़न के मामले मे सुनवाई कर सकता है। राजस्थान में अब कुल 56 पोक्सो अदलतें हो गर्ई। हाईकोर्ट के दखल के बाद ये कोर्ट खोली गई हैं।
कॉमशियल कोर्ट के दायरे में वाणिज्यिक विभाग आएंगे ताकि उद्योगों से जुड़े लोगों को अब अदालत की प्रक्रिया में चक्कर नहीं काटने पडें, इसके लिए यह अलग से कानून बनाया गया। इसके तहत प्रदेशभर की एक ही कोर्ट जो जयपुर में थी, हाईकोर्ट में मामला पहुंचा कि प्रदेशभर की एक ही कोर्ट से न्याय मिलना संभव नहीं है, इसलिए सरकार ने सात और नई कोर्ट खोलने का निर्णय किया है। अब कुल आठ वाणिज्यिक अदालतें हो गई हैं।