scriptकारगिल योद्धा के आश्रित को नहीं दी नौकरी, कोर्ट ने लगाई फटकार, कहाः एक महीने में दो नौकरी | Kargil war hero rajasthan highcourt decision jhunjhunu collector | Patrika News
जयपुर

कारगिल योद्धा के आश्रित को नहीं दी नौकरी, कोर्ट ने लगाई फटकार, कहाः एक महीने में दो नौकरी

सेना के मेडिकल बोर्ड ने दिया था पचास फीसदी दिव्यांगता प्रमाण पत्र, हाईकोर्ट ने जिला कलेक्टर के खिलाफ कार्रवाई को कहा, डीओपी सचिव की कार्यप्रणाली पर उठाए सवाल, कारगिल युद्ध में घायल सैनिक के आश्रित को नौकरी नहीं देने पर सरकार पर लगाया एक लाख का हर्जाना

जयपुरJan 22, 2021 / 09:13 pm

pushpendra shekhawat

a4.jpg
कमलेश अग्रवाल / जयपुर। कारगिल युद्ध मे घायल हुए सैनिक के आश्रित को नियुक्ति नहीं देने पर राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार पर एक लाख रुपए का हर्जाना लगाया है। कोर्ट ने एक माह में सैनिक के आश्रित को नियुक्ति देने को कहा है।
कोर्ट ने मुख्य सचिव को अनुकम्पा नियुक्ति का आवेदन रद्द करने वाले झुंझुनूं के तत्कालीन कलक्टर पर कार्रवाई करने के निर्देश देते हुए कहा कि मामले में कार्मिक सचिव की कार्यप्रणाली को भी उचित नहीं कहा जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि सैनिक अपनी जान को खतरे में डालकर आम लोगों के जीवन को बचाते हैं।

कारगिल युद्ध के दौरान सिपाही मंदरूप सिंह ग्रेनेड हमले में घायल हो गया। सेना के मेडिकल बोर्ड ने उसे पचास फीसदी दिव्यांग मानते हुए सैन्य सेवा से जून 2003 अलग कर दिया। सिंह ने युद्ध में घायल सैनिक के आश्रित को अनुकंपा नियुक्ति देने के प्रावधान के तहत जिला सैनिक कल्याण बोर्ड अधिकारी चिड़ावा में आवेदन किया। जिसे बोर्ड ने जिला कलेक्टर को भेज दिया।
झुंझुनूं कलक्टर ने आश्रित को नियुक्ति देने के बजाए उसका एसएमएस मेडिकल कॉलेज के बोर्ड से पुनः मेडिकल कराने के आदेश दे दिए। एसएमएस के मेडिकल बोर्ड ने उसे 50 फीसदी दिव्यांग मानने से इनकार कर दिया। इस आधार पर जिला कलक्टर ने 30 अप्रैल 2012 को उसका आवेदन खारिज कर दिया। जिस पर सैनिक ने राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका दायर की।
जिसमें राज्य सरकार की ओर से कहा गया की भले ही सेना के मेडिकल बोर्ड ने याचिकाकर्ता को 50 फीसदी दिव्यांग माना, लेकिन एसएमएस के मेडिकल बोर्ड के प्रमाण पत्र के अभाव में उसके आश्रित को नियुक्ति नहीं दी गई। जबकि याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि सरकार के अक्टूबर 2008 के परिपत्र के अनुसार उसके आश्रित को राजकीय सेवा में लिया जाना चाहिए। जिस पर न्यायाधीश एसपी शर्मा ने कहा कि आर्मी बोर्ड को मेडिकल प्रमाण पत्र होने के बाद भी नियुक्ति नहीं देना और फिर से मेडिकल करवाना।
पूर्व सैनिक को प्रताड़ना देने के समान है। कोर्ट ने अधिकारियों के रवैये पर नाराजगी जाहिर की। कोर्ट ने एक माह में आश्रित को नौकरी देने के साथ ही आवेदन रद्द करने के लिए जिम्मेदार तत्कालीन जिला कलेक्टर झुंझुनूं के खिलाफ कार्रवाई करने को मुख्य सचिव को कहा है। कोर्ट ने इसी के साथ कार्मिक विभाग के सचिव की कार्यप्रणाली को भी सही नहीं माना है। कोर्ट ने राज्य सरकार पर देरी के लिए एक लाख रुपए का हर्जाना भी लगाया है।
अपनी जान खतरे में डालते हैं सैनिक

कोर्ट ने अपने फैसले में राज्य सरकार की कार्यप्रणाली पर नाराजगी जाहिर की है। सरकार पर जुर्माना भी लगाया। कोर्ट ने कहा कि सैनिक अपनी जान को खतरे में डालकर आम लोगों के जीवन की रक्षा करते हैं। उनके साथ इस तरह का व्यवहार नहीं किया जा सकता है।

Home / Jaipur / कारगिल योद्धा के आश्रित को नहीं दी नौकरी, कोर्ट ने लगाई फटकार, कहाः एक महीने में दो नौकरी

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो