ऐसे में चर्चा ये है कि जब पूरे प्रदेश में कोरोना को देखते हुए सरकार ने एहतियात बरतते हुए नगर निगम चुनाव, स्कूल-कॉलेज परीक्षाएं स्थगित कर दी गई हैं,तो फिर चुनाव के लिए सभी 200 विधायकों को एक जगह क्यों एकत्रित होने दिया जा रहा है? मतदान के लिए विधानसभा में सभी 200 विधायक और विधानसभा स्टाफ एक जगह एकत्रित होगा तो इससे संक्रमण का खतरा बना रहेगा। लिहाजा विधायकों और जनहित को देखते हुए राज्यसभा चुनाव के मतदान को भी आगे के लिए टाल देना चाहिए।
कांग्रेस के कई वरिष्ठ विधायक भी चुनाव टालने के पक्ष में
इधर कोरोना प्रकोप को देखते हुए कांग्रेस के कई वरिष्ठ विधायक भी राज्यसभा चुनाव को टालने के पक्ष में हैं। विधायकों का कहना है कि उनका निजी मत है कि जनहित में इस मामले को देखते हुए राज्यसभा चुनाव के मतदान को आगे के लिए टाल देना चाहिए। विधायकों का कहना है कि विधायक भी इंसान ही होते हैं, अगर जब प्रदेश में आवश्यक सेवाओं को छोड़कर सबकुछ ही बंद कर दिया गया था तो फिर मतदान भी टाले जाने चाहिए।
चुनाव आयोग को लेना है फैसला
हालांकि राज्यसभा चुनाव के लिए मतदान 26 मार्च होगा या फिर तारीख आगे बढ़ती है ये चुनाव आयोग को तय करना है। गौरतलब है कि राज्यसभा की तीन सीटों पर भाजपा-कांग्रेस ने अपने दो-दो प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतारा है।
कांग्रेस ने पार्टी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री केसी वेणुगोपाल और नीरज डांगी को प्रत्याशी बनाया है तो वहीं भाजपा ने राजेंद्र गहलोत को मैदान में उतारा है, साथ ही पूर्व सांसद ओंकार सिंह लखावत का पर्चा भराकर भाजपा ने चुनाव को रोचक बना दिया है।