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जयपुर

गलता से कावड़ लाने वाले लाखों भक्तों के लिए बड़ी खबर, यह पढ़कर ही आएं गलता…

Galta Therth…. जयपुर शहर के पूरे क्षेत्र में गलता तीर्थ ही एकमात्र ऐसा तीर्थ है जहां के जल को पवित्र मानकर इससे शिव का अभिषेक किया जाता है। हर बार सावन में यहां लाखों की संख्या में लोग आते हैं और पवित्र जलकर भरकर कई किलोमीटर पैदल चलकर अपने क्षेत्रों में शिव का अभिषेक करते हैं।

जयपुरJul 05, 2020 / 10:45 am

JAYANT SHARMA

file photo

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जयपुर
इस बार सावन में पांच सोमवार थे और लोगों ने भोलेनाथ के मंदिरों में बड़े आयोजनों की तैयारी कर ली थी लेकिन इस बार कोरोना ने ऐसे हालात किए हैं कि बस पूछिए ही मत। इस बार सैंकड़ों सालों में पहली बार गलता तीर्थ को पुलिस ने कस्टडी में ले लिया है। यानि गलता तीर्थ में न तो कोई जा सकता है और न ही वहां से आ सकता है। सावन में इस बार गलता के बाहर पुलिस ने नाका ही बना दिया है इस नाके के पार जाकर गलता तीर्थ तक जाना लगभग असभंव है।
इसलिए लिया गया गलता को कस्टडी में
दरअसल शहर में कोरोना की रफ्तार तेज है। लगभग हर दिन नए क्षेत्रों से मरीज सामने आ रहे हैं। बहुत से मरीजों को तो संक्रमित होने का माध्यम ही नहीं पता। लगातार बढ़ रहे मामलों को देखते हुए फिर से लॉकडाउन शुरू हो गया है। बाड़मेर शहर ने सबसे पहले लॉकडाउन कर दिया है। जयपुर शहर के पूरे क्षेत्र में गलता तीर्थ ही एकमात्र ऐसा तीर्थ है जहां के जल को पवित्र मानकर इससे शिव का अभिषेक किया जाता है। हर बार सावन में यहां लाखों की संख्या में लोग आते हैं और पवित्र जलकर भरकर कई किलोमीटर पैदल चलकर अपने क्षेत्रों में शिव का अभिषेक करते हैं। लेकिन इस बार संक्रमण फैलने के डर से कावड यात्रा पर सीधे सीधे बैन लगा दिया गया है। यानि पवित्र जल देने वाले तीर्थ को ही चारों ओर से पुलिस ने घेर लिया है जिससे वहां पर कोई व्यक्ति नहीं जा सके और कावड के लिए जल नहीं ला सके।
बीस हजार से ज्यादा निकलती हैं कावड़ यात्राएं
जयपुर शहर से ही हर बार सावन के चार से पांच सोमवार के दौरान बीस हजार से भी ज्यादा कावड निकलती है। चाकसू, शिवदासपुरा, बगरु, बस्सी, शाहपुरा, गोविंदगढ़ समेत आसपास के करीब पचास किलोमीटर के क्षेत्र से लाखों कावड़िए शिव का अभिषेक करने के लिए कावड यात्रा के रुप में गलता से जल लेकर जाते हैं और अभिषेक करते हैं। लेकिन इस बार ऐसा कुछ नहीं हो सकेगा।
शहर के मंदिर बंद, जल चढ़ाना तो दूर हाथ लगाने की अनुमति भी नहीं
उधर सरकार ने पहले ही शहर के मंदिरों को बंद कर रखा है। जयपुर शहर में सबसे ज्यादा लोग ताडकेश्वर और झारखंड भोलेनाथ के दरबार में जाते हैं। लेकिन यहां कावड़ जल चढ़ाना तो दूर मंदिर में प्रवेश को ही बंद कर रखा है। शिव जी पर जल चढ़ाना तो दूर उनके हाथ लगाकार आर्शीवाद लेना भी अनुमत नहीं है। शहर के सभी छोटे बडे मंदिरों के लिए यही निर्देश हैं कि वे सरकार की अनुमति के बिना नहीं खोलें जाएंगे।

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