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जयपुर

तीन लोगों को जिंदगी दे गया सन्नी

जयपुरFeb 14, 2020 / 09:46 pm

Avinash Bakolia

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जयपुर. 17 साल का सन्नी मरने के बाद भी तीन लोगों को नई जिंदगी दे गया। दुर्घटना के बाद ब्रेन डेड हुए सन्नी के परिजनों ने उसके अंगदान करने की सहमति दी, जिससे दो किडनी के मरीजों और एक मरीज का लिवर प्रत्यारोपण किया गया। उसका लिवर निम्स हॉस्पिटल भेजा गया, जिसके लिए सवाई मानसिंह अस्पताल से निम्स तक ग्रीन कॉरिडोर भी बनाया गया। सन्नी की दोनों किडनी का प्रत्यारोपण एसएमएस अस्पताल में ही और लिवर निम्स में प्रत्यारोपित हुआ है। एसएमएस अस्पताल के चिकित्सक एक के बाद एक कैडेवर ट्रांसप्लांट कर प्रदेश का नाम रोशन कर रहे हैं। शुक्रवार को भी चिकित्सकों ने किडनी का ट्रांसप्लांट किया।
अस्पताल के प्रवक्ता डॉ. एस.एस. यादव ने बताया कि दौसा के बरखेड़ा निवासी 17 वर्षीय सन्नी की 8 फरवरी को सड़क दुर्घटना हुई थी। दुर्घटना में सन्नी के मस्तिष्क में गंभीर चोटें आईं। इसके बाद न्यूरोसर्जरी विभाग में भर्ती करवाया गया। गंभीर चोट होने के कारण मरीज की जान बचाना संभव नहीं था। मरीज को लगातार छह दिन तक न्यूरोसर्जरी आइसीयू ट्रोमा हॉस्पिटल में चिकित्सकों की निगरानी में रखा गया। मरीज के सभी अंग सुचारू रूप से कार्य करते रहे इसके लिए हर संभव प्रयास किया गया। शरीर का तापमान स्थिर रखा जाए। मरीज को संक्रमण से बचाया जाए तथा लीवर, हृदय एवं किडनी के फंक्शन नियमित रखे जाए। इस कार्य को सफलतापूर्वक डॉ. गोपाल लाल बंसल और उनकी टीम ने दिया। ब्रेन डेड घोषित करने के बाद 13 फरवरी को अस्पताल अधीक्षक डॉ. डी.एस. मीणा, एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. सुधीर भंडारी और स्टेट ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन(सोटो) टीम ने मरीज के परिजनों को अंगदान के लिए प्रेरित किया। परिजनों की सहमति के बाद 14 फरवरी को सुबह 10.30 बजे ऑपरेशन शुरू किया।
इन्हे लगी किडनी
चिकित्सकों ने बताया कि मरीज की एक किडनी भीलवाड़ा निवासी 43 वर्षीय महिला और दूसरी गंगानगर निवासी 36 वर्षीय पुरुष को लगाई गई। हृदय के लिए प्रदेश में उचित मरीज उपलब्ध नहीं होने के कारण नेशनल ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन(नोटो) पर किसी की सहमति नहीं मिलने के कारण हृदय प्रत्यारोपण नहीं किया जा सका। लिवर प्रत्यारोपण के लिए मरीज उपलब्ध नहीं होने के कारण लिवर निम्स हॉस्पिटल भेजा गया।
यह थी टीम-
किडनी प्रत्यारोपण करने वाली टीम में डॉ. विनय तोमर, डॉ. एस.एस. यादव, डॉ. प्रशांत गुपता, डॉ. संजीव जयसवाल, डॉ. विनय मल्होत्रा, डॉ. धनंजय अग्रवाल, डॉ. पंकज बेनीवाल और डॉ. वर्षा कोठारी थे।
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वर्ष 2019 में यूरोलॉजी विभाग द्वारा 54 लाइव किडनी ट्रांसप्लांट तथा 05 कैडेवर किडनी ट्रांसप्लांट किए गए, जबकि वर्ष 2020 में अब तक 6 कैडेवर किडनी ट्रांसप्लांट किए गए हैं।
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मेरा सिर गर्व से ऊंचा कर गया
पिता के कंधों पर बेटे की अर्थी को उठाना सबसे बड़ा बोझ है। सपने में भी नहीं सोचा था कि इस बोझ को उठाना पड़ेगा। यह कहते कहते सन्नी के पिता लक्ष्मीनारायण महावर की आंखों से आसूं निकल पड़े। लक्ष्मीनारायण ने कहा बेटे का शरीर मिट्टी में मिल जाएगा, लेकिन उसने तीन लोगों को नई जिंदगी दी है। इस मेरा सिर गर्व से ऊंचा कर गया।
खुद का रोजगार शुरू करने का था सपना
पिता ने बताया कि सन्नी ने नवीं पास करके पढ़ाई छोड़ दी थी। कहता था पापा मुझे आपका सहारा बनना है। घर में हाथ बंटाना है। इसलिए उसने मजदूरी करना शुरू कर दिया। सन्नी का सपना था कि बाइक रिपेयरिंग की दुकान खोलकर खुद का रोजगार शुरू करे। 18 साल का हो जाउंगा, तब खुद की दुकान खोलूंगा। मौसा विजेन्द्र कुमार ने बताया कि 8 फरवरी की शाम को दोस्त की बाइक लेकर दौसा किसी काम से निकला था। क्या पता था हमारा सन्नी फिर कभी नहीं आएगा।
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