इन्हे लगी किडनी
चिकित्सकों ने बताया कि मरीज की एक किडनी भीलवाड़ा निवासी 43 वर्षीय महिला और दूसरी गंगानगर निवासी 36 वर्षीय पुरुष को लगाई गई। हृदय के लिए प्रदेश में उचित मरीज उपलब्ध नहीं होने के कारण नेशनल ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन(नोटो) पर किसी की सहमति नहीं मिलने के कारण हृदय प्रत्यारोपण नहीं किया जा सका। लिवर प्रत्यारोपण के लिए मरीज उपलब्ध नहीं होने के कारण लिवर निम्स हॉस्पिटल भेजा गया।
चिकित्सकों ने बताया कि मरीज की एक किडनी भीलवाड़ा निवासी 43 वर्षीय महिला और दूसरी गंगानगर निवासी 36 वर्षीय पुरुष को लगाई गई। हृदय के लिए प्रदेश में उचित मरीज उपलब्ध नहीं होने के कारण नेशनल ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन(नोटो) पर किसी की सहमति नहीं मिलने के कारण हृदय प्रत्यारोपण नहीं किया जा सका। लिवर प्रत्यारोपण के लिए मरीज उपलब्ध नहीं होने के कारण लिवर निम्स हॉस्पिटल भेजा गया।
यह थी टीम-
किडनी प्रत्यारोपण करने वाली टीम में डॉ. विनय तोमर, डॉ. एस.एस. यादव, डॉ. प्रशांत गुपता, डॉ. संजीव जयसवाल, डॉ. विनय मल्होत्रा, डॉ. धनंजय अग्रवाल, डॉ. पंकज बेनीवाल और डॉ. वर्षा कोठारी थे।
किडनी प्रत्यारोपण करने वाली टीम में डॉ. विनय तोमर, डॉ. एस.एस. यादव, डॉ. प्रशांत गुपता, डॉ. संजीव जयसवाल, डॉ. विनय मल्होत्रा, डॉ. धनंजय अग्रवाल, डॉ. पंकज बेनीवाल और डॉ. वर्षा कोठारी थे।
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वर्ष 2019 में यूरोलॉजी विभाग द्वारा 54 लाइव किडनी ट्रांसप्लांट तथा 05 कैडेवर किडनी ट्रांसप्लांट किए गए, जबकि वर्ष 2020 में अब तक 6 कैडेवर किडनी ट्रांसप्लांट किए गए हैं।
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मेरा सिर गर्व से ऊंचा कर गया
पिता के कंधों पर बेटे की अर्थी को उठाना सबसे बड़ा बोझ है। सपने में भी नहीं सोचा था कि इस बोझ को उठाना पड़ेगा। यह कहते कहते सन्नी के पिता लक्ष्मीनारायण महावर की आंखों से आसूं निकल पड़े। लक्ष्मीनारायण ने कहा बेटे का शरीर मिट्टी में मिल जाएगा, लेकिन उसने तीन लोगों को नई जिंदगी दी है। इस मेरा सिर गर्व से ऊंचा कर गया।
वर्ष 2019 में यूरोलॉजी विभाग द्वारा 54 लाइव किडनी ट्रांसप्लांट तथा 05 कैडेवर किडनी ट्रांसप्लांट किए गए, जबकि वर्ष 2020 में अब तक 6 कैडेवर किडनी ट्रांसप्लांट किए गए हैं।
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मेरा सिर गर्व से ऊंचा कर गया
पिता के कंधों पर बेटे की अर्थी को उठाना सबसे बड़ा बोझ है। सपने में भी नहीं सोचा था कि इस बोझ को उठाना पड़ेगा। यह कहते कहते सन्नी के पिता लक्ष्मीनारायण महावर की आंखों से आसूं निकल पड़े। लक्ष्मीनारायण ने कहा बेटे का शरीर मिट्टी में मिल जाएगा, लेकिन उसने तीन लोगों को नई जिंदगी दी है। इस मेरा सिर गर्व से ऊंचा कर गया।
खुद का रोजगार शुरू करने का था सपना
पिता ने बताया कि सन्नी ने नवीं पास करके पढ़ाई छोड़ दी थी। कहता था पापा मुझे आपका सहारा बनना है। घर में हाथ बंटाना है। इसलिए उसने मजदूरी करना शुरू कर दिया। सन्नी का सपना था कि बाइक रिपेयरिंग की दुकान खोलकर खुद का रोजगार शुरू करे। 18 साल का हो जाउंगा, तब खुद की दुकान खोलूंगा। मौसा विजेन्द्र कुमार ने बताया कि 8 फरवरी की शाम को दोस्त की बाइक लेकर दौसा किसी काम से निकला था। क्या पता था हमारा सन्नी फिर कभी नहीं आएगा।
पिता ने बताया कि सन्नी ने नवीं पास करके पढ़ाई छोड़ दी थी। कहता था पापा मुझे आपका सहारा बनना है। घर में हाथ बंटाना है। इसलिए उसने मजदूरी करना शुरू कर दिया। सन्नी का सपना था कि बाइक रिपेयरिंग की दुकान खोलकर खुद का रोजगार शुरू करे। 18 साल का हो जाउंगा, तब खुद की दुकान खोलूंगा। मौसा विजेन्द्र कुमार ने बताया कि 8 फरवरी की शाम को दोस्त की बाइक लेकर दौसा किसी काम से निकला था। क्या पता था हमारा सन्नी फिर कभी नहीं आएगा।