गौर करने वाली बात है कि एनआईए, केन्द्रीय इंटेलिजेंस ब्यूरो के साथ पंजाब, हरियाणा और राजस्थान पुलिस लॉरेंस गैंग पर शिकंजा कसे हुए है। इसके बावजूद जेल में बैठे गैंग के सरगना और गुर्गों के पास मोबाइल पहुंच रहे हैं। डेढ़ वर्ष पहले तिहाड़ जेल में से गैंगस्टर लॉरेंस ने जयपुर के एक व्यापारी को धमकी दी थी, तब भी पुलिस ने गैंगस्टर को प्रोडक्शन वारंट पर गिरफ्तार किया था। सूत्रों के मुताबिक कई मामलों में आईएसआई की ओर से टारगेट तय किए जाते थे। जेल में या बाहर रह रहे गैंगस्टर को टारगेट की जानकारी दी जाती थी।
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पुलिस सूत्रों के मुताबिक आईएसआई तक पहुंचने का रास्ता लॉरेंस का दोस्त हरविंदर सिंह संधू उर्फ रिंदा संधू बना। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक रिंदा संधू पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए काम करता था। वह बब्बर खालसा इंटरनेशनल के सरगना वाधवा सिंह और जर्मनी में रहने वाले जसविंदर सिंह मुल्तानी से भी जुड़ा हुआ था। उसने लॉरेंस विश्नोई को टारगेट किलिंग में लगाया।