भाजपा के ज्ञानचंद पारख ने कहा कि राज्य सरकार पहले ही आर्थिक बदहाली से जूझ रही है। 3.79 लाख करोड़ का कर्जा चढ़ चुका है। ऐसे में घोषणाएं कैसे पूरी होंगी। पिछले बजट में बीपीएल वर्ग के बेटियों के कन्यादान के रूप में हथलेवा योजना शुरू की गई थी, वो आज तक शुरू नहीं हुई। समाज कल्याण की योजनाओं में साढ़े 12 फीसदी और ग्रामीण विकास के बजट में 60 फीसदी की कटौती की गई है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत केन्द्र सरकार को कोसते रहते हैं। केन्द्र को 17101 करोड़ राज्य सरकार को देने थे और अब तक 15541 करोड़ रुपए जारी कर चुकी है। जो मात्र पांच फीसदी कम है। जबकि राज्य की राजस्व आय में ही 32 फीसदी तक की कमी आई है। इसी प्रकार बिजली कंपनियों पर 90 हजार करोड़ का कर्जा हो चुका है। इसमें 33 हजार करोड़ ब्याज का ओवर ड्यू हो गया है। शराब बिक्री के बजाय राजस्व के नए रास्ते खोजने की जरूरत है।
कांग्रेस की शकुंतला रावत ने कहा कि इस बजट को सर्वगुण सम्पन्न कहा जा सकता है। ऐसा कोई वर्ग नहीं जिसका जिक्र नहीं किया गया। भाजपा के मदन दिलावर ने कहा कि यह जनविरोध बजट है। गरीब वर्ग के एससी-एसटी के लोगों की अनदेखी की गई है। पेंशन में कोई वृद्धि नहीं की गई। छात्रवृत्ति रोक रखी है। सामाजिक सुरक्षा को लेकर आवेदन लंबित चल रहे हैं। कांग्रेस की अब असत्य बजट पेश करने की आदत बन गई है। जयपुर के गोविन्द मार्ग पर 165 करोड़ की लागत से एलिवेटेड रोड बनाने के लिए कहा था, आज तक काम शुरू नहीं हुआ।
भाजपा के रामलाल शर्मा ने कहा कि पिछले बजटों की ही गई घोषणाएं फिर से दोहराई गई हैं। धड़ल्ले से खाद्य वस्तुओं में मिलावट हो रही है। सायबर क्राइम रोकने को लेकर कुछ नहीं कहा गया। शंकर सिंह रावत ने कहा कि मांग के बावजूद नए जिलों की घोषणा नहीं की जा रही। मनरेगा के कामों में भुगतान को लेकर भेदभाव हो रहा है। राजस्व के लिए शराब-दुकान गली-गली खोलना ठीक नहीं। बहस में पुखराज गर्ग, बाबूलाल नागर, ओमप्रकाश हुड़ला, आलोक बेनीवाल, अविनाश और प्रशांत बैरवा भी भाग लिया।