बणी-ठणी का चित्र बना युवा चित्रकारों की पहली पसंद ( Bani-thani picture ) जयपुर के खुश नारायण जांगिड़ द्वारा संचालित किशनगढ़ चित्र शैली की वर्कशॉप में प्रतिदिन लगभग 15 से 20 बच्चे और बडे़ विजिटर्स बणी-ठणी की पेंटिंग में रंग उकेर कर अपनी कला को साकार करते नजर आ रहे हैं। यहां की वर्कशॉप में बच्चों के मध्य किशनगढ़ की बणी-ठणी का चित्र सर्वाधिक लोकप्रिय है। बणी-ठणी के चित्र पर रंग उकेर कर ये बच्चे अपनी छिपी हुई कला प्रतिभा को प्रदर्शित करते नजर आए।
बणी-ठणी की पेंटिंग कला, प्रेम और भक्ति का प्रतीक जांगिड ने बताया कि किशनगढ़ शैली का स्थान राजस्थान की 9 चित्रकला शैलियों में शामिल है। इसमें 1700 शताब्दी में किशनगढ के महाराजा सावन्त सिंह, जो नागरी दास नाम से भी जाने जाते हैं, ने इस शैली में अपने चित्रकार निहालचंद से बणी-ठणी का चित्र बनवाया था। बणी-ठणी की पेंटिंग कला, प्रेम और भक्ति का प्रतीक है।
साइड फेस पर आधारित इस पेंटिंग की तुलना एरिक डिक्सन ने ‘मोनालिसा’ से की थी। तीखी नाक और खंजन पक्षी के समान आखें इस चित्र की प्रमुख विशेषताओं में शामिल है, जो अन्य किसी पेंटिंग में देखने को नहीं मिलती। इस शैली में सफेद, गुलाबी और हरे रंग का प्रयोग बहुतायत से किया जाता है। हालांकि यह शैली कांगडा चित्र शैली के काफी करीब मानी जाती है।