निधन के बाद भी एक्टिव अकाउंट! गौरतलब है कि बीजेपी के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष मदन लाल सैनी का निधन 24 जून 2019 को हुआ था। लेकिन उसके भी उनके ऑफिशियल फेसबुक अकाउंट पर पोस्ट डलना जारी है। जानकारी के अनुसार सैनी के परिजन उनके निधन के बाद भी इस एफबी अकाउंट को लगातार चला रहे हैं। इसी क्रम में रविवार को भी सतीश पूनिया को नया प्रदेश अध्यक्ष बनाये जाने को लेकर बधाई का पोस्ट अपलोड किया गया है।
पोस्ट के ज़रिये सैनी के परिजन दे रहे बधाई स्वर्गीय मदन लाल सैनी के एफबी अकाउंट से पूनिया को जारी हुई शुभकामना सन्देश का पोस्ट जिसने भी पहली बार देखा वो अचम्भा रह गया। हालांकि बाद में जब पता चला कि पोस्ट उनके अकाउंट से उनके परिजनों ने साझा की है, तो माजरा समझ आया। इस पोस्ट को मदन लाल सैनी परिवार सदस्यों मनोज सैनी, डॉ दुर्गा शंकर सैनी और समस्त परिवार की ओर से जारी किया।
एक वजह यह भी पूनिया को भाजपा के सदस्यता अभियान का प्रदेश संयोजक बनाया गया था। उन्होंने प्रदेश में 57 लाख नए सदस्य बनाए है। ऐसे में पार्टी के प्रदेश में कुल सदस्यों की संख्या 1 करोड़ 9 लाख के पार पहुंच गया है। ऐसे में पार्टी ने उनकी इस मेहनत का तोहफा देते हुए उन्हें प्रदेशाध्यक्ष बनाया है।
14 साल रहे प्रदेश महामंत्री पूनिया को संगठन का लंबा अनुभव है। वे पार्टी में 14 साल तक प्रदेश महामंत्री रहे हैं। वर्तमान में प्रदेश प्रवक्ता के पद पर कार्य कर रहे थे। हालांकि पूनिया दो बार एमएलए का चुनाव हार चुके हैं। एक बार उप चुनावों में सार्दुलपुर से उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद आमेर से 2014 के चुनावों में उन्हें महज 329 वोटों से हार मिली थी।
लंबे समय से चल रहा था मंथन प्रदेशाध्यक्ष को लेकर पार्टी लंबे समय से मंथन में जुटी थी। जातिगत समीकरणों की वजह से प्रदेशाध्यक्ष की घोषणा नहीं की गई थी। केंद्र में राजपूज समाज के गजेंद्र सिंह शेखावत को मंत्री बनाया गया था। इसी तरह जाट समुदाय के कैलाश चौधरी और दलित समुदाय से अर्जुन मेघवाल को केंद्र में मंत्री बनाया गया। विधानसभा में गुलाबचंद कटारिया को नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी दी गई, जो वैश्य समाज से आते हैं। ऐसे में माना जा रहा था कि पार्टी किसी ब्राह्मण को इस सीट पर बैठा सकती है, लेकिन पंचायत और निकाय चुनावों के मद्देनजर पार्टी ने जाट पर दांव खेला है।
पहली बार इतने समय खाली रही कुर्सी वैसे पहली बार प्रदेशाध्यक्ष बनाने में पार्टी को 82 दिन का समय लगा हैं। इससे पहले अशोक परनामी के इस्तीफे के 72 दिन बाद मदन लाल सैनी को प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया था।
पूनिया का राजनीतिक अनुभव -20 जून, 1964 को चूरू के एक छोटे से गांव में हुआ था पूनिया का जन्म -विज्ञान में स्नातक, एलएलबी और भूगोल से स्नातकोत्तर तक की पढ़ाई -एबीवीपी से लंबे समय तक जुड़े रहे