माना जा रहा है कि कांग्रेस प्रत्याशी पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के सम्मान में भाजपा मैदान छोड़ भी सकती है। संख्याबल के लिहाज से भी भाजपा की स्थिति सीट निकालने की नहीं है। साथ ही प्रतीकात्मक विरोध की स्थिति बनती है तो कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला या किसी अन्य को भाजपा प्रत्याशी भी बना सकती है।
उपचुनाव में भाजपा के लिए उम्मीदवार उतारना मुश्किल होगा। जीतने के लिए कांग्रेस के पास बहुमत से अधिक विधायक हैं जबकि भाजपा के पास बहुमत नहीं है। राज्यसभा उम्मीदवार को जीतने के लिए 100 वोट चाहिए जबकि भाजपा के पास एनडीए के सहयोगी दल के विधायकों को मिलाकर 74 वोट ही हैं।
पार्टी ने उम्मीदवार उतारने संबंधी निर्णय करने के लिए नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया , उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ और विधायक सतीश पूनिया की कमेटी बना रखी है। यह मंगलवार को बैठक कर रुख स्पष्ट करेगी। इसमें विधायकों को भी बुलाया जा सकता है।
सूत्रों के मुताबिक इसकी संभावना ज्यादा है कि पार्टी उम्मीदवार ही नहीं उतारे। तीनों नेताओं की बैठक में चर्चा की जाएगी कि भाजपा और RLP के विधायकों के अलावा कितने विधायकों को साथ लाया जा सकता है। इसके बाद ही पार्टी तय करेगी कि चुनाव मैदान में उतरना है या नहीं।
नामांकन के 2 दिन शेष
पिछली 7 अगस्त से शुरू हुई नामांकन प्रक्रिया में अब तक एक भी नामांकन दाखिल नहीं हुआ है। अब मंगलवार और बुधवार को नामांकन दाखिल किए जा सकेंगे।