झमाझम बारिश से जगी आस, मेघ रहे मेहरबान तो बढ़ जाएगा जलस्तर जयपुर में 1981 की बाढ़ के बाद से पेयजल का संकट खड़ा है। साल दर साल कम होती बारिश से लोगों के सामने पानी की पेरशानी खड़ी हो गई। इसके चलते शहर की आधी से ज्यादा आबादी बीसलपुर बांध पर निर्भर है। गिरते भूजल से कुओं में पानी सूखने के बाद लोगों ने ट्यूबेलों का सहारा लिया और धरती के सीने को छलनी कर दिया। इसस पानी धरती में धीरे-धीरे नीचे चला गया। अब हालात ऐसे हो गए हैं कि 800 फीट की गहराई तक पानी की बूंद तक नहीं है। वहीं पहाड़ी इलाकों में बहने वाले झरने और शहर के आसपास के तालाब सूख गए।
राहत लेकर आई बारिश प्रदेश में इस बार हो रही बारिश एक नया सवेरा लेकर आई है। अब लोगों को फिर से पानी की उम्मीद बंधी है। बारिश का दौर ऐसे ही चलता रहा तो सूखे पड़े कुओं और बोरिंगों में पानी की आवक होगी। इससे शहर के आसपास के लोगों को पीने का पानी तो मिलेगा। साथ ही खेतों में फिर से हरी-भरी फसलें लहलायेगी। किसानों की मानें तो बारिश का दौर ऐसा ही चला तो धरती में पानी धीरे-धीरे जाता रहेगा। इससे जयपुर व आसपास के इलाकों में जलस्तर बढ़ने की संभावना है।