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जयपुर

Movie Review : ग्रिपिंग क्लाइमैक्स है ‘दृश्यम 2’ की यूएसपी

डायरेक्शन: अभिषेक पाठकओरिजनल स्टोरी: जीतू जोसेफअडेप्टेड स्क्रीनप्ले: आमिल कियान खान, अभिषेक पाठकस्टार कास्ट: अजय देवगन, अक्षय खन्ना, तब्बू, श्रिया सरन, इशिता दत्ता, रजत कपूर, मृणाल जाधव, कमलेश सावंत, सौरभ शुक्ला
रन टाइम: 142 मिनट

जयपुरNov 18, 2022 / 11:52 pm

Aryan Sharma

Movie Review : ग्रिपिंग क्लाइमैक्स है 'दृश्यम 2' की यूएसपी

Movie Review : ग्रिपिंग क्लाइमैक्स है ‘दृश्यम 2’ की यूएसपी

आर्यन शर्मा @ जयपुर. क्राइम थ्रिलर ‘दृश्यम’ (2015) का सीक्वल ‘दृश्यम 2’ इसी टाइटल से 2021 में आई मोहनलाल अभिनीत मलयालम फिल्म का हिन्दी रीमेक है। फर्स्ट हाफ में बिल्ड-अप जरा स्लो है, मगर इंटरवल तक आते-आते कहानी सरपट दौड़ने लगती है। ट्विस्ट्स और टर्न्स से अंत तक सस्पेंस और थ्रिल की बयार बहती रहती है। फिल्म की यूएसपी यानी असली जान इसका दिलचस्प क्लाइमैक्स है। फिल्म में कुछ कमियां भी हैं, पर सूझबूझ से बुने गए ट्विस्ट उनसे ध्यान भटका देते हैं। फिल्म रोमांच से भरपूर है, पर फिर भी यह ‘दृश्यम’ जैसी नहीं है।
फिल्म की कहानी जहां ‘दृश्यम’ खत्म हुई थी, उसके सात साल बाद की है। केबल ऑपरेटर विजय सालगांवकर (अजय देवगन) अब एक मूवी थिएटर का मालिक भी बन चुका है। वह फिल्म प्रोड्यूस करना चाहता है। स्क्रिप्ट भी लगभग तैयार है। हालांकि विजय की पत्नी नंदिनी (श्रिया सरन) और बड़ी बेटी अंजू (इशिता दत्ता) के जेहन को अतीत के ‘काले सच’ के जाल ने जकड़ रखा है। बुरी यादें अब भी उनका पीछा करती रहती हैं। इस कारण वे डरी-सहमी रहती हैं। पुलिस को देख विजय का परिवार कांप उठता है। उधर, गोवा के नए आइजी तरुण अहलावत (अक्षय खन्ना) के नेतृत्व में पुलिस ‘गड़े मुर्दे’ को उखाड़ने के लिए सबूत ढूंढ रही है। तरुण पूर्व आइजी मीरा देशमुख (तब्बू) का दोस्त भी है। मीरा अपने पति महेश (रजत कपूर) के साथ लंदन में जा बसी है, मगर अपने बेटे की पुण्यतिथि पर दोनों गोवा आए हुए हैं। मीरा किसी भी हाल में विजय और उसके परिवार को जेल की सलाखों के पीछे देखना चाहती है।
जीतू जोसेफ ने कहानी को रोचक तरीके से वहीं से आगे बढ़ाया है, जहां पर ‘दृश्यम’ खत्म की थी। बस, सात साल का लीप दे दिया है। स्टोरी में कदम-कदम पर कई अनपेक्षित ट्विस्ट हैं। स्क्रीनप्ले एंगेजिंग है, जो इंटरवल के बाद तो सीट से हिलने नहीं देता। शुरुआत में कुछ सीन जो कहानी में अखरते हैं, क्लाइमैक्स में उनका महत्व समझ आता है। डायरेक्टर अभिषेक पाठक ने ईमानदारी और अनुशासित तरीके से अपने काम को अंजाम दिया है। बैकग्राउंड स्कोर रोमांचक है। एडिटिंग और क्रिस्प हो सकती थी। सिनेमैटोग्राफी बढ़िया है। लोकेशंस आकर्षक हैं।
अजय देवगन /strong> ने ‘दृश्यम’ में विजय का किरदार जहां छोड़ा था, वहीं से पकड़ा है। लुक जरूर बदला है, लेकिन मैजिक बनाए रखा है। अक्षय खन्ना की सहज एक्टिंग इम्प्रेसिव है, लेकिन उनके किरदार से और उम्मीद थी। तब्बू जबरदस्त हैं, पर स्क्रीन टाइम कम है। श्रिया सरन और इशिता दत्ता अपने रोल में फिट हैं। गायतोंडे के किरदार में कमलेश सावंत खौफ पैदा करते हैं। रजत कपूर का काम सीमित है, पर अभिनय स्वाभाविक है। सौरभ शुक्ला भी अहम कड़ी साबित होते हैं। नेहा जोशी की परफॉर्मेंस सराहनीय है। मृणाल जाधव ओके हैं। स्मार्ट और इम्प्रेसिव सस्पेंस ड्रामा ‘दृश्यम’ आपने देखी है तो ‘दृश्यम 2’ भी देख लेनी चाहिए।
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